करौली: केपीसी ईआरसीपी योजना के तहत प्रस्तावित डूंगरी बांध के खिलाफ क्षेत्र में बढ़ते जनाक्रोश के बीच 13 जुलाई को करौली जिले के सपोटरा में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. डूंगरी बांध संघर्ष समिति ने शनिवार को करौली के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेसवार्ता में इसकी घोषणा की. समिति ने बताया कि बांध निर्माण से करौली, सवाई माधोपुर और धौलपुर जिले के 76 गांवों का विस्थापन होगा, जिससे हजारों परिवारों का भविष्य दांव पर है.
संघर्ष समिति के सदस्यों ने बताया कि महापंचायत में खंडार, सपोटरा, सवाई माधोपुर, गंगापुर सिटी और वामनवास सहित तीन जिलों के लगभग 300 गांवों के लोग हिस्सा लेंगे. यह महापंचायत बांध के विरोध में अब तक की सबसे बड़ी सभा होने की उम्मीद है. समिति के सदस्य मदन मोहन, राजौर, हंसराम और शैलेंद्र ने बताया कि इससे पहले 22 जून को भूरी पहाड़ी और 6 जुलाई को डूंगरी गांव में महापंचायतें आयोजित हो चुकी हैं, जिनमें स्थानीय लोगों ने बांध के खिलाफ एकजुट होकर आवाज बुलंद की थी.
प्रेसवार्ता में समिति ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने बांध निर्माण पर पुनर्विचार नहीं किया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा. महापंचायत में प्रभावित गांवों के प्रतिनिधि एकत्रित होकर भविष्य की रणनीति तैयार करेंगे और सरकार से विस्थापितों के पुनर्वास, उचित मुआवजे और पर्यावरणीय प्रभावों के मूल्यांकन की मांग करेंगे. सैकड़ों की संख्या में मौजूद ग्रामीणों ने एक स्वर में बांध परियोजना को रद्द करने की मांग दोहराई.
यह महापंचायत न केवल स्थानीय लोगों के लिए एक मंच होगी, बल्कि क्षेत्रीय एकता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक भी बनेगी. समिति ने सभी प्रभावित गांवों से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेने की अपील की है, ताकि उनकी आवाज सरकार तक पहुंचे.