कर्नाटक में प्रस्तावित जाति सर्वेक्षण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्वे में हिंदू जातियों के आगे “क्रिश्चियन” पहचान जोड़ दी गई है, जिस पर कई समुदायों और नेताओं ने आपत्ति जताई है। इस विवाद के बाद राज्य सरकार दबाव में आ गई है और अब उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार कांग्रेस हाईकमान से मिलकर सर्वे को स्थगित करने की मांग कर सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सरकार जाति सर्वेक्षण को अपनी बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करना चाहती थी, लेकिन “क्रिश्चियन टैग” जोड़ने की ग़लती ने इसे राजनीतिक संकट में बदल दिया है। कई कैबिनेट मंत्रियों ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि इस तरह की पहचान न केवल तकनीकी गड़बड़ी है बल्कि सामाजिक संतुलन को बिगाड़ने वाली भी है।
बीते दिनों विभिन्न हिंदू संगठनों और जाति प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि सरकार जानबूझकर हिंदू समाज को बांटने और धार्मिक पहचान के आधार पर नए विवाद पैदा करने की कोशिश कर रही है। विरोधियों का कहना है कि यदि सर्वेक्षण इसी रूप में जारी रहा तो यह समाज में अविश्वास और तनाव का कारण बनेगा।
डीके शिवकुमार ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से बात करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। वहीं, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी इस मामले में रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि सरकार किसी भी तरह की गलती सुधारने के लिए तैयार है।
राज्य की राजनीति में जाति सर्वे हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है। पिछली बार भी कांग्रेस सरकार ने इसे लागू करने की कोशिश की थी, लेकिन विरोध और कानूनी अड़चनों के कारण मामला अधर में लटक गया। अब एक बार फिर वही हालात बनते दिखाई दे रहे हैं।
सर्वेक्षण स्थगित होगा या जारी रहेगा, इस पर अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान के निर्देश के बाद ही होगा। लेकिन इतना तय है कि जाति सर्वे का यह विवाद आने वाले दिनों में कर्नाटक की राजनीति को और गरमाने वाला है।