कर्नाटक हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, ‘X’ की याचिका खारिज, मंत्री बोले- संविधान की जीत

कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें केंद्र सरकार के ‘सहयोग’ पोर्टल की वैधता को चुनौती दी गई थी। यह पोर्टल सरकारी अधिकारियों द्वारा बिचौलियों को कंटेंट हटाने के आदेश जारी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह संविधान की जीत है और भारत की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट की जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने अपने फैसले में साफ कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण जरूरी है, खासकर महिलाओं से जुड़े अपराध और संवेदनशील मामलों में। अदालत ने टिप्पणी की कि नागरिकों को गरिमा के साथ जीने का अधिकार है, और अगर आपत्तिजनक कंटेंट को रोका नहीं गया तो यह अधिकार प्रभावित होगा।

अदालत ने यह भी कहा कि अमेरिका में X कॉर्प वहां की सरकार के आदेशों का पालन करता है, क्योंकि उसका उल्लंघन अपराध माना जाता है। लेकिन भारत में वही कंपनी कानून के तहत दिए गए आदेशों का पालन करने से बच रही है। इसे अदालत ने बेतुका और अस्वीकार्य बताया।

जस्टिस नागप्रसन्ना ने आगे कहा कि संविधान का अनुच्छेद 19 नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, लेकिन याचिकाकर्ता स्वयं भारतीय नागरिक नहीं है। ऐसे में वह इस अनुच्छेद का हवाला देकर कोई राहत नहीं पा सकता। अदालत ने दो टूक कहा कि भारत में संचालित हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को यह स्वीकार करना होगा कि आजादी जिम्मेदारी से जुड़ी है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान की मजबूती का प्रतीक है। उन्होंने जोर दिया कि भारत में कानून से ऊपर कोई नहीं है और सभी कंपनियों को यहां के नियमों का पालन करना ही होगा।

इस फैसले को सोशल मीडिया के नियमन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह आदेश सरकार को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर नियंत्रण लागू करने में और अधिक मजबूती देगा। अब सभी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि X कॉर्प अगला कदम क्या उठाएगा।

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