रायपुर: 2 हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाला केस में कवासी लखमा को राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने दूसरी बार पूछताछ के दौरान पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था. इसके बाद कोर्ट में पेश किया गया. प्रवर्तन निदेशालय को 21 जनवरी तक रिमांड मिली थी. दोबारा कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने कवासी लखमा को 4 फरवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेजा था.
18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे लखमा: मंगलवार को कवासी लखमा की कोर्ट में पेशी होनी थी, लेकिन बल की कमी होने की वजह से कवासी लखमा कोर्ट में पेश नहीं हुए. कवासी लखमा की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराई गई. कोर्ट ने 18 फरवरी तक कवासी लखमा को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है.
EOW की कोर्ट में हुई सुनवाई:ईओडब्ल्यू कोर्ट में मंगलवार को कवासी लखमा की अग्रिम जमानत पर बहस हुई. दोनों पक्षों में लंबी बहस चली. जिसके बाद कोर्ट ने कल तक के लिए फैसला सुरक्षित रखा है. बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में कहा कि “बिना शासन की अनुमति के ईओडब्ल्यू ने जांच बिठाई है. सेक्शन 17 A के तहत बिना किसी शासन की अनुमति के किसी भी सरकारी सिस्टम पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ जांच नहीं की जा सकती और ना ही उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है.”
EOW के वकील का पक्ष: वहीं इसके जवाब में EOW के वकील मिथलेश वर्मा ने कहा कि “शराब घोटाला मामले में लखमा के इंवॉल्वमेंट को लेकर पक्ष रखा गया है. कोर्ट में यह भी बताया गया है कि लखमा को इस शराब घोटाले से कमीशन मिलता था.”
पूर्व मंत्री को हर महीने 2 करोड़ मिलने का लगा है आरोप: शराब कारोबारी अरविंद सिंह ने अपने बयान में ईडी को बताया था कि “हर महीने कवासी लखमा को शराब कार्डन से 50 लाख रुपए महीने जाते थे. इसके साथ ही आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी ने भी अपने बयान में बताया था कि 50 लाख के साथ ही डेढ़ करोड़ रुपए शराब कार्डन से और दिए जाते थे. इस हिसाब से पूर्व मंत्री को हर महीने दो करोड़ जा रहे थे. इस बात की पुष्टि दोनों की गवाही से हुई है. 36 महीने तक यह घोटाला हुआ है. टोटल घोटाला 72 करोड़ का हो रहा है.
कौन है कन्हैयालाल: इन्वेस्टिगेशन में यह पाया गया कि एक्साइज ऑफीसर इकबाल खान और जयंत देवांगन हैं. इन लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की है. पैसा अरेंजमेंट करके पूर्व मंत्री को भेजते थे. कन्हैयालाल नाम के शख्स के द्वारा बैग़ कलेक्ट करके सुकमा भेजा जाता था.