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मार्शल मुद्दे पर हंगामे के बाद AAP विधायकों के खिलाफ FIR, सौरभ भारद्वाज पर भी केस

दिल्ली में शनिवार को बस मार्शलों की बहाली के मुद्दे पर हाई बोल्टेड ड्रामा हुआ था. अब इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है. सिविल लाइंस थाने में BNS की कई धाराओं के तहत यह केस दर्ज किया गया है.

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दिल्ली में शनिवार को बस मार्शलों की बहाली के मुद्दे पर हाई बोल्टेड ड्रामा हुआ था. अब इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है. सिविल लाइंस थाने में BNS की कई धाराओं के तहत यह केस दर्ज किया गया है. FIR में सौरभ भारद्वाज का नाम भी शामिल है. जानकारी के अनुसार, पुलिस ने बीएनएस की धारा 103 और 238 के तहत मामला दर्ज किया है.

 

जानें क्यों हुआ था विवाद

दरअसल, शनिवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, आम आदमी पार्टी और बीजेपी विधायकों के साथ बस मार्शलों की बहाली को लेकर कैबिनेट नोट सौंपने और उस पर मंजूरी के लिए उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय पहुंचीं थीं. आम आदमी पार्टी का कहना है बीजेपी विधायक सचिवालय से भागने लगे, लेकिन मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उनके पैर पकड़कर रोका. AAP ने कहा कि बस मार्शलों की बहाली के लिए बीजेपी विधायकों के सामने कैबिनेट नोट पास करने के बाद उस नोट को लेकर एलजी के पास सीएम आतिशी और आम आदमी पार्टी के मंत्री और विधायक गए. इस दौरान बीजेपी विधायकों ने भागने का पूरा प्रयास किया लेकिन मंत्री सौरभ भारद्वाज और AAP नेताओं ने उन्हें भागने नहीं दिया. AAP ने कहा कि CM आतिशी खुद BJP विधायक की गाड़ी में बैठकर LG House इसलिए गईं, ताकि बीजेपी विधायकों को भगाने का कोई भी मौका ना मिले.

 

इस घटनाक्रम के बाद सौरभ भारद्वाज, AAP विधायकों और बस मार्शलों को राज निवास रोड से हिरासत में लिया गया. दिल्ली पुलिस ने इलाके को खाली कराया था.

 

उधर, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा था कि ये आम आदमी पार्टी की नौटंकी है. जनता की अदालत लगाने से पहले केजरीवाल मार्शल की अदालत लगा लेते. आम आदमी पार्टी के ड्रामे से पहले ही हमने माननीय उपराज्यपाल से मार्शल की मुलाकात कर दी थी.

 

दिल्ली की सीएम आतिशी ने कहा कि बीजेपी विधायकों ने कल मुझसे मिलने का समय मांगा था, हमने उनसे मुलाकात की और उन्हें इस मुद्दे (बस मार्शलों) के बारे में समझाया कि यह एलजी के अधीन आने वाले सेवा मामलों के अंतर्गत आता है. लेकिन आज बीजेपी की पोल खुल गई, क्योंकि हमारी पूरी कैबिनेट वहां थी. बीजेपी को एलजी से उन मामलों पर निर्णय लेने के लिए कहना चाहिए जो उनके अधीन आते हैं. लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है, वे इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं.

 

बता दें कि सार्वजनिक परिवहन बसों में मार्शल के रूप में तैनात 10 हजार से अधिक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों को पिछले साल हटा दिया गया था, क्योंकि नागरिक सुरक्षा निदेशालय ने आपत्ति जताई थी कि वे आपदा प्रबंधन कर्तव्यों के लिए नियुक्त हैं.

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