मध्य प्रदेश : खंडवा शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा हाल ही में कई आईएएस अधिकारियों के तबादले किए गए हैं. खंडवा कलेक्टर अनूप कुमार सिंह को मप्र विविकं (पश्चिम क्षेत्र) एमडी बनाकर इंदौर भेजा गया है, जबकि देवास कलेक्टर ऋषव गुप्ता को खंडवा की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। कलेक्टर गुप्ता गुरुवार सुबह पदभार ग्रहण करेंगे और इस दौरान निवर्तमान कलेक्टर अनूप कुमार सिंह से मुलाकात भी करेंगे.
खंडवा में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले दूसरे कलेक्टर
अनूप कुमार सिंह ने तीन साल, एक माह और 15 दिन तक खंडवा की कमान संभाली. इससे पहले एके वशिष्ठ जिले में तीन साल, दो माह तक कलेक्टर रह चुके हैं.
विकास के दावे और ज़मीनी हकीकत
खंडवा जिले में अनूप सिंह के कार्यकाल की समीक्षा की जाए तो विकास के वादों और वास्तविकता में बड़ा अंतर देखने को मिलता है. जनता और जनप्रतिनिधियों से बातचीत में यह सामने आया कि कलेक्टर के कार्यकाल में प्रशासनिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार के आरोप और योजनाओं के धीमे क्रियान्वयन ने विकास को प्रभावित किया.
2. धीमी विकास योजनाएँ और प्रशासनिक शिथिलता
जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ. अधिकारियों का कहना है कि प्रशासनिक फैसले लेने की प्रक्रिया बेहद धीमी रही, जिससे कई परियोजनाएँ अधूरी रह गईं.
जनता और जनप्रतिनिधियों से संवादहीनता
स्थानीय नेताओं ने शिकायत की कि कलेक्टर जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करने या उनकी समस्याओं पर ध्यान देने में असमर्थ रहे. आम जनता भी अपनी समस्याओं को लेकर असंतुष्ट नजर आई. सरकारी कार्यों की बजाय निजी आयोजनों पर अधिक ध्यान कलेक्टर पर आरोप लगा कि वे सरकारी योजनाओं से ज्यादा निजी आयोजनों में सक्रिय रहे.
सूत्रों की राय: क्या मिला, क्या खोया?
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, तीन वर्षों में जिले में कोई बड़ी निवेश योजना लागू नहीं हो सकी, व्यापारिक दृष्टिकोण से भी ठोस निर्णय नहीं लिए गए. कई बैठकें हुईं, लेकिन उनमें से अधिकांश व्यावहारिक परिणाम नहीं दे सकीं.
आगे की उम्मीदें
खंडवा के नागरिक अब उम्मीद कर रहे हैं कि नए कलेक्टर ऋषव गुप्ता जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने और विकास को गति देने में सफल होंगे. पारदर्शिता, संवाद और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से ही जनता का विश्वास बहाल किया जा सकता है.
अनूप सिंह का कार्यकाल खंडवा के लिए विकास की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता था, लेकिन विभिन्न विवादों और प्रशासनिक शिथिलता के कारण यह औसत दर्जे का ही साबित हुआ. अब देखना होगा कि नए कलेक्टर किस तरह जिले में नई कार्यशैली और विकास की गति को आगे बढ़ाते हैं.