सदियों से प्यासा खुसरा!” चट्टानों से रिसते पानी पर निर्भर गांव, कब मिलेगा स्वच्छ जल?

रीठी : तहसील के खुसरा गांव में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बच्चे और महिलाएं चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सदियों से एक-एक बूंद एकत्रित कर पानी ढोते हुए पीढ़ियां गुजर गई लेकिन जिम्मेदारों ने कभी सुध नहीं ली.

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रीठी तहसील क्षेत्र का एक ऐसा गांव है, जहाँ आज भी लोग खाई की चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं. इस गांव में पानी की समस्या से लोग हलकान है, हालात ये हैं कि यहां पर ग्रामीणों अन्य कोई साधन नहीं है.

रीठी तहसील क्षेत्र के बीच जंगल स्थित खुसरा गाँव में आज भी नल-जल योजना शुरू नहीं हुई. सदियों से यहां के ग्रामीणों की एक-एक बूंद एकत्रित कर पानी ढोते हुए पीढ़ियां गुजर गई हैं.

पानी के इंतजार में बीत गई सदियां रीठी का खुसरा गांव है. यहां सदियों से ग्रामीण पानी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. खुसरा ग्राम में महादेव मंदिर के नीचे एक खाई है और इस खाई की चट्टानों से रिसने वाली एक-एक बूंद को लोग एकत्रित करते हैं. गांव की महिलाएं व बच्चे दूर चट्टानों से पानी ढोने का काम सदियों से कर रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि आज तक उन्हें मूलभूत सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है, सदियों से वे पीने के लिए स्वच्छ पानी के लिए तरस रहे हैं.

समस्याओं से नहीं मिली निजात: ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव की समस्या से जिले के आला अधिकारी सहित जनप्रतिनिधि भी अवगत हैं. कई बार पानी की समस्या के लेकर शिकायतें भी की गई हैं.

लेकिन समस्याओं से निजात नहीं मिल पाई है. ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव आते ही जनप्रतिनिधि गांव आते हैं और तरह-तरह के प्रलोभन देकर भोली भाली जनता से मतदान करा लेते हैं. मतदान होने के बाद इस गांव में दोबारा लौट कर नहीं आते.

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