दमोह : फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र जॉन केम के इलाज से 7 मरीजों की मौत के मामले में घिरे मिशन अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन ने अस्पताल का लाइसेंस और पंजीयन अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है.
अस्पताल प्रबंधन को तीन दिन के भीतर सभी भर्ती मरीजों को जिला अस्पताल रेफर करने को कहा गया है. कार्रवाई का आधार अस्पताल द्वारा लाइसेंस रिन्यूवल में खामियां होना बताया गया है, हालांकि इसे मौतों के मामले से नहीं जोड़ा गया है.
सीएमएचओ ने बताया कि अस्पताल का लाइसेंस 31 मार्च को रिन्यू होना था. प्रबंधन ने ऑनलाइन आवेदन तो किया, पर उसमें जरूरी दस्तावेज और जानकारी अधूरी थीं. खामियां दूर करने के लिए कहा गया था, पर कार्रवाई नहीं हुई. इससे पहले, धारा 6 के तहत नोटिस जारी कर अस्पताल में एनेस्थीसिया, पैथालॉजी, कार्डियोलॉजी और सोनोग्राफी विशेषज्ञों की कमी का जिक्र किया गया था.
नियुक्त डॉक्टरों के इस्तीफे की जानकारी भी दी गई थी. साथ ही यह भी बताया गया कि अस्पताल में हुई मौतों की रिपोर्ट सीएमएचओ कार्यालय को नहीं भेजी गई और तीन माह के निरीक्षण की अनिवार्य रिपोर्ट भी नहीं दी गई.
नरेंद्र जॉन केम की डिग्री फर्जी… न पंजीयन नंबर, न तारीख
फर्जी डॉक्टर जॉन केम की डिग्री में कई खामियां हैं. इनमें कोई पंजीयन नंबर नहीं है. जॉन केम की डिग्री में किसी भी प्रकार की तारीख नहीं है. वहीं डिग्री में केवल वाइस चासंलर और चासंलर के हस्ताक्षर हैं, मगर वो भी फर्जी हैं. क्योंकि पांडिचेरी केंद्र शासित राज्य है और वहां पर चासंलर उपराष्ट्रति होते हैं. डिग्री में जुलाई 2013 का उल्लेख है. इस वक्त वहां पर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी थे, लेकिन डिग्री पर जो हस्ताक्षर हैं, वे उनके हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे हैं.
बिलासपुर पुलिस ने भी आरोपी की जानकारी मांगी
इस मामले में बिलासपुर पुलिस सक्रिय हो गई है. आरोपी डॉक्टर ने बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भी मरीजों का टंजिगोगाामी और एंजियोप्लासी की थी.
जिसमें 20 अगस्त को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत हो गई थी. 2006 में यह मामला सामने आया था. दमोह में मामले का खुलासा होने के बाद बिलासपुर पुलिस ने दमोह पुलिस से संपर्क किया है और वहां भी केस दर्ज करने की तैयारी कर ली है.
सीएमएचओ पर लानत है… उन्होंने 7 मौतों के बाद भी अस्पताल का लाइसेंस निरस्त नहीं किया : कानूनगो
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बुधवार को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों पर तीखा हमला बोला. दमोह पहुंचने पर उन्होंने कहा कि इस मामले में यदि समय पर एफआईआर होती और एमएचओ कार्रवाई करते, तो आज आरोपी जेल में होते.
उन्होंने कहा- सीएमएचओ ने सात मौतों के बावजूद मिशन अस्पताल का लाइसेंस निरस्त नहीं किया, उन पर लानत है. यहां पर अधिकारी सीधे-सीधे अपराधियों से मिले हैं. मिशन अस्पताल के कैथलैब के लाइसेंस की प्रक्रिया के दौरान जिस डॉक्टर के नाम से लाइसेंस दिया वो वहां पर नहीं था तो लाइसेंस क्यों दिया और यदि डॉक्टर मौजूद था तो उसके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हुई? इससे साफ है कि पूरा का पूरा जिला प्रशासन तंत्र और सीएमएचओ मिशन अस्पताल का संचालक अजय लाल को बचाने का प्रयास करता रहा.