जमीन पर चलने वाली गिलहरियां. तारों और पेड़ों पर चलने और दौड़ लगाने वाली गिलहरियां. जिन्हें हम अक्सर नट्स, बीज, फल फूल और पत्तियां खाते देखते आए हैं. अब वो मांसाहारी होती जा रही है. किलर बन चुकी हैं. ये सच घटना है कैलिफोर्निया के कुछ पार्कों की. खासतौर से कोंट्रा कोस्टा काउंटी के स्थानीय पार्को की.
ये मासूम सी दिखने वाली गिलहरियां अचानक से किलर बन जाएंगी, ये किसी ने सोचा भी नहीं था. इन पार्कों में आजकल इनके मुंह में दबे हुए चूहे के आकार के छोटे जीव वोल (Vole) दिख जाते हैं. पहले ये बेरहमी से उनका शिकार करती हैं. उसके बाद ये उसकी हड्डियों से भी मांस नोंच कर खा जाती हैं. हैरान करने वाला परिवर्तन है.
वैज्ञानिकों ने इस तरह की घटनाओं को कैमरे में कैद किया. खासतौर से ब्रियोन्स रीजनल पार्क से. यहां पर इस समय वोल की मात्रा बढ़ी हुई है. गिलहरियां इन्हीं का शिकार कर रही हैं. गिलहरियों के इस व्यवहारिक बदलाव की स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों की रिपोर्ट 18 दिसंबर 2024 को जर्नल ऑफ इथोलॉजी में प्रकाशित हुई है.
गिलहरियों पर रखनी पड़ी नजर
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-ईयू क्लेयर के स्टूडेंट्स ने 12 साल से लगातार ब्रियोन्स रीजनल पार्क में इन गिलहरियों की स्टडी की. लेकिन पहली बार इस साल गर्मी में स्टूडेंट्स ने कुछ अलग और हैरान करने वाला देखा. यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-ईयू क्लेयर के एसोसिएट प्रोफेसर जेनिफर स्मिथ ने एक ‘टीम स्क्वेरल’ बनाई. गिलहरियों की हरकतों पर नजर रखनी शुरू की.
चूहों जैसे जीव वोल पर हमला
मांसाहारी गिलहरियों की हरकतों का वीडियो बनाना शुरू किया. तस्वीरें लेना शुरू किया. पता चला कि यहां मौजूद कैलिफोर्नियन ग्राउंड गिलहरी शाकाहारी हैं. ये कभी कीड़े, अंडे, छोटे पक्षियों या चूहों पर हमला नहीं करती थीं. लेकिन इन्होंने जब वोल पर हमला शुरू किया तो लोगों की नजर गई. स्टूडेंटस ने भी देखा. आमतौर पर ये गिलहरियां वोल को दौड़ाकर उसे गर्दन या सिर पर काटती हैं. उन्हें पकड़ लेती हैं.
बर्बरता से शिकार, फिर सिर से शुरूआत
एक गिलहरी एक वोल के पीछे भागती है. कई बार सफलता नहीं मिलती लेकिन शिकार पूरी बर्बरता के साथ होता है. इसके बाद पकड़े हुए वोल का पहले सिर खाती हैं. हड्डी वगैरह सब. मांस नोंच-नोंच कर खा जाती हैं. कुछ गिलहरियां पहले से किसी के किए हुए शिकार को चोरी करके ले जाती हैं.
वोल की बढ़ती संख्या से घबराई गिलहरियां
असल में इस पार्क में वोल की आबादी बढ़ गई. वोल की संख्या संतुलित रहती है. न ये बढ़ती है न घटती है. इनकी आबादी कई साल में एक बार बढ़ती है. यानी तीन से पांच साल में. इस साल वोल की संख्या बहुत तेजी से पार्क में बढ़ी. पिछले दस साल के औसत से सात गुना ज्यादा गति से. वैज्ञानिकों को ये समझ में आया कि वोल की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए गिलहरियों को ये बदलाव करना पड़ा. ताकि उनका खाना-पीना बचा रहे. क्योंकि ये चूहे जैसी जीव गिलहरियों का खाना खा जाते हैं. इसलिए गिलहरियों ने इनका शिकार शुरू कर दिया.