गुजरात के वड़ोदरा में पीएम नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज TATA Aircraft Complex का उद्घाटन कर रहे हैं. इस कॉम्प्लेक्स में C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनेंगे. स्पेन और भारत के बीच 56 विमान बनाने का समझौता हुआ है. पहले 16 विमान स्पेन में बनेंगे. बाकी के 40 को टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) बनाएगी. देश में पहली बार एक निजी कंपनी मिलिट्री के लिए प्लेन बनाएगी.
यह कॉम्प्लेक्स देश का पहला निजी फाइलन असेंबली लाइन है. जो मिलिट्री एयरक्राफ्ट बनाएगा. भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बेहद जरूरी हैं. ताकि सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहुचा सकें. इसमें C295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करेगा.
73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स लेकर भर सकता है उड़ान
C-295 विमान को दो लोग उड़ाते हैं. इसमें 73 सैनिक या 48 पैराट्रूपर्स या 12 स्ट्रेचर इंटेसिव केयर मेडवैक या 27 स्ट्रेचर मेडवैक के साथ 4 मेडिकल अटेंडेंट सफर कर सकते हैं. यह एक बार में अधिकतम 9250 kg वजन उठा सकता है. इसकी लंबाई 80.3 फीट, विंगस्पैन 84.8 फीट और ऊंचाई 28.5 फीट है.
482 km/hr की स्पीड से 4587 km तक जा सकता है
इस एयरक्राफ्ट में 7650 लीटर फ्यूल आता है. यह अधिकतम 482 km/hr की रफ्तार से उड़ सकता है. इसकी रेंज 1277 से 4587 km है. यह उसमें लदे वजन पर निर्भर करता है. लेकिन फेरी रेंज 5 हजार km है. अधिकतम 13,533 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है.
लैंडिंग के लिए छोटा रनवे, हथियार भी लगाए जा सकते हैं
इसे उड़ान भरने के लिए 844 मीटर से 934 मीटर लंबाई वाला रनवे चाहिए होता है. उतरने के लिए मात्र 420 मीटर का रनवे चाहिए होता है. इसमें छह हार्डप्वाइंट्स होते हैं. यानी हथियार और बचाव प्रणाली लगाने की जगह. दोनों विंग्स के नीचे तीन-तीन. या फिर इनबोर्ड पाइलॉन्स हो सकते हैं. जिसमें 800 kg के हथियार लगाए जा सकते हैं.
हैदराबाद के बाद वड़ोदरा सेंटर देगा प्लेन को फाइनल टच
टाटा ने पिछले साल नवंबर से 40 सी295 विमानों के लिए मेटल कटिंग का काम शुरू कर दिया है. हैदराबाद फिलहाल इसकी मेन कॉन्स्टीट्यूंट एसेंबली है. वहां पर कई पार्ट्स को जमाएंगे. टाटा की हैदराबाद फैसिलिटी एयरक्राफ्ट के प्रमुख हिस्सों को फैब्रिकेट करेगी. इसके बाद उसे वडोदरा भेजा जाएगा.
वडोदरा में सभी C-295 विमान को अंतिम रूप दिया जाएगा. जिसमें इंजन लगेगा. इलेक्ट्रॉनिक्स सेट किए जाएंगे. इसके बाद उसे वायुसेना को दिया जाएगा. 32वें नंबर का विमान स्वदेशी होगा. फिलहाल इस विमान का इस्तेमाल 2 दर्जन से ज्यादा देश कर रहे हैं.
भारत के लिए क्यों जरूरी हैं ये विमान
भारतीय वायुसेना के लिए ट्रांसपोर्ट विमान बेहद जरूरी हैं. ताकि सैनिकों, हथियारों, ईंधन और हार्डवेयर को एक जगह से दूसरी जगह पहुचा सकें. इसमें C295 कम वजन के ट्रांसपोर्टेशन में मदद करेगा. C295 विमान इंडियन एयरफोर्स के पुराने HS748 एवरोस विमानों की जगह लेंगे. इसके अलावा यूक्रेन से आए एंतोनोव एएन-32 को बदला जाएगा.