कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री आरिफ अकील को हार्ट में समस्या होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका है. उनका सोमवार सुबह भोपाल के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया है. परिजनों ने उनके लिए दुआ करने की अपील की थी. उनके निधन से कांग्रेस में शोक की लहर दौड़ गई है. उनकी उम्र 72 साल थी.
आरिफ अकील पहले भी हार्ट की बीमारी से ग्रसित रहे हैं. उनकी पिछले साल ही हार्ट सर्जरी करवाई गई थी. बताया गया कि रविवार को उनकी अचानक तबीयत खराब हुई, जिसके बाद तत्काल प्रभाव से भोपाल के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया. डॉक्टरों का कहना था कि उनकी हालत नाजुक है. उन्होंने आखिरी सांस सोमवार की सुबह ली. वह मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा चेहरा थे.
कांग्रेस नेता ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 स्वास्थ्य कारणों के चलते नहीं लड़ा था. इसके लिए उन्होंने खुद ही इनकार कर दिया था. उन्होंने अपने बेटे को लड़ाने के लिए पार्टी से अपील की थी, जिसके बाद पार्टी ने उनके बेटे आतिफ को भोपाल उत्तर से टिकट दिया था. आतिफ ने यहां से जीत भी हासिल की. इसी सीट का प्रतिनिधित्व आरिफ अकील करते आए थे.
कौन हैं आरिफ अकील?
कांग्रेस नेता आरिफ अकील का जन्म 14 जनवरी 1952 को हुआ था. वे मध्य प्रदेश के भोपाल उत्तर से विधानसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं. वह प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. वह पहली बार 1990 में भोपाल उत्तर सीट से विधायक चुने गए थे. उन्होंने 1972 में एक एक्टिव छात्र नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था, जिसके बाद 1977 में सैफिया कॉलेज छात्र समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और उसी साल उन्हें मध्य प्रदेश के युवा कांग्रेस और एनएसयूआई का उपाध्यक्ष बनाया गया था.
आरिफ अकील ने 1990 में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री रसूल अहमद सिद्दीकी को हराया था. ये चुनाव उन्होंने निर्दलीय लड़ा था और चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद 1993 में जनता दल पार्टी के संरक्षण में चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी से मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने 1996 में दोबारा कांग्रेस को ज्वाइन कर लिया. 1998 में उन्होंने विधायक का चुनाव लड़ा और अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी नेता रमेश शर्मा को हराया था. देखा गया है कि पिछले तीन दशकों से पुराने भोपाल की राजनीति आरिफ अकील के इर्द-गिर्द केंद्रित रही है. कई चुनाव में बीजेपी ने भोपाल में अधिकतर विधानसभा सीटें जीतीं, लेकिन आरिफ अकील के गढ़ को नहीं हिला पाई. इससे कांग्रेस की प्रतिष्ठा हमेशा बचती रही है.