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कोलकाता कांड: प्रदर्शन के बीच डॉक्टरों ने खोले ‘अभया क्लीनिक’, मरीजों को दे रहे मुफ्त इलाज

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुई वीभत्स घटना के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के बीच कोलकाता के जूनियर डॉक्टरों ने मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए टेलीमेडिसिन सर्विस शुरू की है. इस पहल पर अच्छी प्रतिक्रिया मिलने के बाद आज से प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मरीजों को देखने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में अस्थायी हेल्प कैम्प खोले हैं. अपने विरोध प्रदर्शन के बीच जूनियर डॉक्टर आम लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं.

पीड़िता को न्याय दिलाने के प्रयास में अपने विरोध प्रदर्शन को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए जूनियर डॉक्टरों के द्वारा मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है. पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट ने कोलकाता में 6 जगहों पर अस्थायी हेल्थ कैम्प लगाए हैं, जहां कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, आरजी कर मेडिकल कॉलेज, नेशनल मेडिकल कॉलेज सहित कई मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर मरीजों को अटेंड कर रहे हैं. डॉक्टरों ने हेल्थ कैम्प को ‘अभया क्लीनिक’ नाम दिया है.

पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट ने बताया कि ये कैम्प प्रत्येक रविवार को कुमारटुली, एस्प्लेनेड क्रॉसिंग, रानुचया मंच, नेशनल मेडिकल के गेट नंबर 2, एनआरएस मेडिकल के गेट नंबर 1 पर आयोजित किए जाएंगे. केपीसी मेडिकल कॉलेज के छात्र जादवपुर के 8बी बस स्टैंड पर मरीजों को देखेंगे. जोका ईएसआई अस्पताल के जूनियर डॉक्टर बेहाला में स्वास्थ्य शिविर लगाएंगे. हेल्थ कैम्प सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक खुले रहेंगे. मरीजों को डॉक्टरों की ओर से दिए जा रहे प्रिस्क्रिप्शन (पर्ची) में लिखा है ‘हम आरजी कर की पीड़िता के लिए न्याय चाहते हैं.’

बता दें, आरजी कर की पीड़िता की पहचान उजागर न हो इसलिए मीडिया और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने उसे ‘अभया’ नाम दिया है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने हेल्थ कैम्प के पहले दिन टेलीमेडिसिन सर्विस के जरिये लगभग 500 मरीजों को अटेंड किया. टेलीमेडिसिन सर्विस के लिए चार नए सिम कार्ड रजिस्टर कराए गए हैं और नंबर सभी के साथ साझा किए गए हैं. प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा, ‘आंदोलन की राह से हटने का सवाल ही नहीं है. हम अपनी बहन को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे. हम आने वाले दिनों में भी इसी तरह काम करते रहेंगे, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.’

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