सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को विकिपीडिया को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज और सरकारी अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई रेजिडेंट डॉक्टर की तस्वीर और नाम हटाने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर गौर किया, जिन्होंने कहा था कि विकिपीडिया पर अभी भी पीड़िता का नाम और फोटो मौजूद है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के प्रावधान बहुत स्पष्ट हैं कि बलात्कार और हत्या के मामलों में पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकती. मृतक की गरिमा और गोपनीयता बनाए रखने के हित में यह जरूरी है कि पीड़िता की पहचान का खुलासा नहीं किया जाए. न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “विकिपीडिया पिछले पारित आदेश का पालन करने के लिए कदम उठाएगा.”
इस केस सुनवाई के दौरान वकील ने दावा किया कि जब विकिपीडिया को पीड़िता का नाम और तस्वीर हटाने के लिए कहा गया, तो उसने इनकार कर दिया था. उसका कहना था कि उसे सेंसर नहीं किया जा सकता है. जबकि यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता की पहचान उजागर करना निपुण सक्सेना मामले में पारित आदेश का उल्लंघन है. साल 2018 में इस केस के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने लाइव स्ट्रीमिंग रोकने की कपिल सिब्बल की अपील को भी सिरे से खारिज कर दिया. सिब्बल का कहना था कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में हंसने के आरोप पर पीठ की टिप्पणी से उनकी 50 साल की साख और छवि धूमिल हुई है. जबकि वो हंसे ही नहीं थे. लिहाजा इस मुकदमे की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगाई जाए. पीठ के सामने मंगलवार को जांच के लिए सबूत मुहैया कराने पर भी बहस हुई.
कोलकाता पुलिस ने कहा कि उसने 8 घंटों की सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को दी है, जबकि जांच एजेंसी का कहना था कि 27 मिनट की क्लिप है. पीठ ने कहा कि सबसे पहले हम सीबीआई की रिपोर्ट देखना चाहते है. कपिल सिब्बल ने कहा, ”इस मामले की सुनवाई से पहले 5 मिनट पहले हमें सुन लें. हमारा आग्रह इस मामले की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर है. आप कोई कमेंट करते है तो मेरी 50 सालों की प्रतिष्ठा पर सवाल उठ रहे हैं.”