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‘कोलकाता रेप केस निर्भया कांड से भी ज्यादा बर्बर’: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के मामले में कथित चुप्पी के लिए कुछ गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की आलोचना की. इसके साथ ही उन्होंने कोलकाता में जूनियर डॉक्टर से कथित दुष्कर्म और हत्या की घटना को 2012 में हुए निर्भया कांड से भी ज्यादा बर्बर बताया है.

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि देश को एक ऐसी सुरक्षित और प्रणालीगत प्रक्रिया अपनानी होगी जिससें मानवता की सेवा में लगे किसी क्षेत्र के लोगों को कोई खतरा नहीं हो.

ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि साल 2012 में निर्भया कांड जैसी घटना घटी थी, इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया और इस घटना के बाद कानून में बदलाव हुआ था.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है. जो देश पूरी दुनिया को नेतृत्व दे रहा है और वसुधैव कुटुंबकम की बात कर रहा है, लेकिन जिस बेटी ने जनता की सेवा करने में न दिन देखा और न रात देखा. उसके साथ निमर्मता की अकल्पनीय हद कर हत्या कर दी गयी. इससे पूरी डॉक्टर बिरादरी, नर्सिंग स्टॉफ, हेल्थ वारियर्स चिंतित और परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह की बर्बर घटनाएं पूरी सभ्यता और देश को शर्मसार कर देती हैं और उस आदर्श को खंडित कर देती हैं जिसके लिए हमारा देश जाना जाता है.

धनखड़ ने राष्ट्रीय सैन्य कॉलेज देहरादून में कहा में कहा कि कुछ एनजीओ, जो अक्सर मामूली घटना पर सड़कों पर उतर आते हैं, अब चुप्पी साधे हुए हैं. हमें उनसे सवाल करना चाहिए. उनकी चुप्पी 9 अगस्त 2024 को हुए जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों के दोषी कृत्यों से कहीं ज़्यादा खराब है.

उन्होंने आगे कहा कि जो लोग राजनीति खेलने और अपने फायदे के लिए लगातार एक-दूसरे को पत्र लिख रहे हैं, वे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनने में विफल हो रहे है.

यह पहली बार नहीं है जब उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कोलकाता हत्याकांड को संबोधित किया है, जिसने पूरे देश में व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है. इसके अलावा, धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल की आलोचना की, जिन्होंने एक कथित प्रस्ताव में इस घटना को “लक्षणात्मक अस्वस्थता” बताया और सुझाव दिया कि ऐसी घटनाएँ आम बात हैं.

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