कोंडागांव पुलिस ने पश्चिम-बंगाल के 12 मजदूरों को बताया बांग्लादेशी:हाईकोर्ट ने राज्य-सरकार को जारी किया नोटिस; श्रमिकों ने मांगा 1 लाख मुआवजा

छत्तीसगढ़ में कोंडागांव पुलिस ने पश्चिम बंगाल के 12 मजदूरों को बांग्लादेशी कहकर गिरफ्तार किया था और बाद में भारतीय नागरिक होने के कारण छोड़ दिया था। इस मामले की याचिका पर हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिका में 12 मजदूरों के खिलाफ की गई धारा 128 की कार्रवाई को रद्द करने और 1 लाख मुआवजे की मांग के साथ-साथ छत्तीसगढ़ राज्य में स्वतंत्रता पूर्वक रोजगार करने के लिए सुरक्षा की मांग की गई थी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सरकार को दो हफ्ते में जवाब देना होगा उसके बाद फिर सुनवाई होगी।

ये है पूरा मामला

29 जून 2025 को पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के 12 निर्माण श्रमिक जो ठेकेदार के माध्यम से बस्तर के कोंडागांव में एक स्कूल निर्माण के लिए श्रमिक के रूप में गए थे। 12 जुलाई को कोंडागांव पुलिस स्कूल निर्माण साइट से सुपरवाइजर पाण्डेय के साथ गाड़ी में भर कर मजूदरों को ले गई।

साइबर सेल खाने में इन सभी श्रमिकों के साथ मारपीट की गई। गाली गलौज कर दुर्व्यवहार किया गया। साथ ही इन्हें आधार कार्ड दिखाने के बाद भी लगातार बांग्लादेशी हो करके संबोधित किया गया।

शाम 6 बजे इन सभी को कोंडागांव पुलिस कोतवाली ले जाया गया और वहां से रात के समय गाड़ी में भर कर 12 और 13 जुलाई की दरमियानी रात जगदलपुर सेंट्रल जेल दाखिल कर दिया गया।

सांसद महुआ मित्रा ने मजदूरों के रिहाई की मांग की थी

13 जुलाई को हल्ला मचने पर पश्चिम बंगाल में उनके रिश्तेदारों ने सांसद महुआ मित्रा से संपर्क किया और पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन सभी के भारतीय नागरिक होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आधार पर अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाइकोर्ट में दायर की।

याचिका सुनवाई में आने के पहले कोंडागांव SDM के आदेश से 14 जुलाई को उन्हें रिहा कर दिया गया। हालांकि सभी को पुलिस ने धमकाया और छत्तीसगढ़ छोड़ने को मजबूर कर दिया गया। जिसके कारण सभी मजदूर अपनी रोजी रोटी गंवा कर पश्चिम बंगाल लौट गए।

हाइकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि वे सभी भारतीय नागरिक है और पूरे देश में कहीं भी रोजी रोटी कमाने का उन्हें संवैधानिक अधिकार है। वे करीब 12 दिन से कोंडागांव स्कूल में काम कर रहे थे और उन्होंने ना अपनी पहचान छुपाई और ना ही कोई अपराध किया फिर भी उन्हें प्रताड़ित किया गया।

राज्य शासन इस याचिका का जवाब दो हफ्ते में देगी और एक हफ्ते में याचिका करता इसका प्रतिउत्तर देंगे। जिसके बाद हाइकोर्ट में आगे सुनवाई होगी। आज याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और रजनी सोरेन ने बहस की।

मजदूरों ने लगाई याचिका

7 अगस्त 2025 को पश्चिम बंगाल के कृष्णा नगर और मुर्शिदाबाद क्षेत्र के रहने वाले महबूब शेख और 11 अन्य लोगों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका लगाकर उनके खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 128 के तहत की गई कार्रवाई को रद्द करने की मांग की है।

याचिका में पुलिस हिरासत में उनके साथ की गई मारपीट दुर्व्यवहार आदि के बदले में एक लाख रुपए प्रति व्यक्ति मुआवजा देने की भी मांग की गई है। साथ ही साथ यह मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में अगर वह रोजगार के लिए मजदूर के रूप में आते हैं तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।

आज यानि 7 अगस्त को हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी डी गुरु की खंडपीठ ने इस याचिका पर राज्य शासन से दो हफ्ते में जवाब देने के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद आगे की सुनवाई होगी।

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