कोरबा: SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) के अंतर्गत काम करने वाली तमाम ठेका कंपनियों में लंबे समय से मजदूरों को उचित रोज़गार और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. यह मुद्दा कई वर्षों से उठाया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है. इस अन्याय के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने समय-समय पर प्रदर्शन किए हैं.
इनमें ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, इंटक सहित कई केंद्रीय संगठन शामिल हैं. इन्होंने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन और आंदोलन भी किए, लेकिन ठेका कंपनियों की मनमानी अब तक जस की तस बनी हुई है. इसको लेकर रविवार को फिर अपना विरोध जताया.
संगठनों की प्रमुख मांग है कि HPC दर पर भुगतान हो, मेडिकल सुविधाएं हो, 8 घंटे की ड्यूटी हो और भू-विस्थापितों को प्राथमिकता से रोजगार मिले. लेकिन इन मांगों पर SECL या शासन-प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. चिंता की बात यह है कि कई ठेका कंपनियां भारी संख्या में बाहरी राज्यों के मजदूरों और ड्राइवरों को काम पर रख रही हैं, जबकि छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवक, विशेषकर भू-विस्थापित, आज भी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि भाजपा के बड़े नेताओं और प्रशासन ने कभी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया. मजदूर और ड्राइवर अब भी उम्मीद में हैं कि एक दिन उन्हें उनका अधिकार ज़रूर मिलेगा.