Vayam Bharat

Korba: किसानों के लाभ के लिए खोला गया धान उपार्जन केंद्र, फड़ प्रभारियों के लिए बना सिरदर्द

Chhattisgarh: कोरबा के धान खरीदी केंद्रों में शासन की योजना अर्न्तगत किसानों से प्रति क्विंटल 31 रुपये समर्थन मूल्य की दर से धान की खरीदी की जा रही है. किसानों को दूर धान मंडियों में न जाना पड़े इसको देखते हुए गांवों के नजदीक में ही उपार्जन केंद्र खोले गए हैं जिससे किसानों को आने जाने का समय भी बच रहा है. इससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं. लेकिन, सेवा सहकारी समितियों में धान खरीदी का जिम्मा उठाने वाले समिति प्रबंधकों में चिंता बनी हुई है. क्योंकि किसानों की सुविधाओं की ओर ध्यान देने वाले शासन प्रशासन ने धान खरीदी केंद्रों में बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दिया. जिले में ऐसे कई धान खरीदी केंद्र है जहां मूलभूत सुविधाओं की कमी हैं, मजबूरन, समिति प्रबंधक आधी-अधूरी व्यवस्था के बीच धान खरीदी कर रहे हैं.

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बात करें कोरकोमा स्थित आदिवासी सेवा सहकारी समिति के अधीन खोले गए धान उपार्जन केंद्र चचिया और आदिवासी सेवा सहकारी समिति ज़िलगा के अधीन खोले गए धान उपार्जन केंद्र कुदमुरा की तो यहां धान उपार्जन केंद्र तो खोल दिए गए लेकिन दोनों ही उपार्जन केंद्रों में न तो अब तक सेड बने हैं और न ही धान की बोरियों को रखने के लिए चबूतरे बन पाए हैं. धान की बोरियों को नमी से बचाने के लिए 2 लेयर की भूसी बिछाकर उसके ऊपर धान की बोरियां रखी जाती है और बारिश से बचने के लिए तिरपाल लगाया जाता है. इन दोनों धान उपार्जन केंद्रों में पीने के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है. समिति प्रबंधकों को अपने खर्चे पर कांवरिए रखना पड़ा है जो कांवर में पानी ढोते हैं. पानी रहने तक किसान यहां से प्यास बुझते हैं और पानी खत्म हो जाए तो किसानों को दूर कहीं जाकर अपनी प्यास बुझा पड़ता है.

जब vayam bharat की टीम इन उपार्जन केंद्रों में पहुंची तो वनांचल क्षेत्र में होने के बावजूद इन केंद्रों में बाउंड्रीवाल नहीं दिखी और न ही माकूल एक भी कमरे दिखे जहां प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर बैठ सके और रातों को चौकीदार वहां से रखवाली कर सके.

समिति प्रबंधकों और ग्रामीणों ने बताया कि वनांचल क्षेत्र में धान उपार्जन केंद्र तो है पर शासन प्रशासन ने अब तक बाउंड्रीवाल और कमरे बनाने की दिशा में काम नहीं किया. जिससे हाथियों का झुंड मंडियों में पहुंचकर धान चट कर जाते हैं. जिससे समिति को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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