कोटा: राष्ट्रीय दशहरा मेला 132वें में विश्व का सबसे ऊंचा रावण बनाया जा रहा है. हरियाणा के अंबाला के बराड़ा निवासी तेजेंद्र चौहान बीते चार माह से 215 फीट का रावण बनाने में जुटे हैं. तजेंद्र खुद अपने गांव की रामलीला में 25 साल से रावण का अभिनय कर चुके हैं. तेजेंद्र चौहान ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वर्ष 1990 से रामलीला में रावण की भूमिका निभाना शुरू किया था. यह सिलसिला वर्ष 2015 तक जारी रहा. इसके अगले 2 साल उनका भतीजा सौरभ चौहान रावण बना. गांव में रामलीला बंद हो गई और सौरभ अमेरिका शिफ्ट हो गए. उन्होंने बताया कि कोटा में विश्व का सबसे ऊंचा रावण बना रहे हैं, जिसका 90 फीसदी काम हो चुका. फिनिशिंग जारी है. मुकुट लगाने के अलावा तलवार और ढाल लहराना बाकी है. यह कार्य जल्द पूरा कर लिया जाएगा. इसके बाद 29 सितंबर को लंकापति को खड़ा किया जाएगा.
रामलीला के बाद तैयार हुई टीम
तेजेंद्र चौहान ने बताया कि उनके यहां रामलीला रावण दहन के तीन-चार दिन पहले खत्म होती थी. इसके बाद पूरी टीम रावण बनाने में लगती थी.वर्तमान में उनके साथ रावण बनाने वाली टीम के सदस्य पहले रामलीला में सेट भी बनाया करते थे. साल 2017 के बाद आधिकारिक रूप से रावण भी बनाने लगे. सेट बनाने वाली टीम के पूरे सदस्य उनकी रावण बनाने वाली टीम से जुड़ गए. इसके बाद विश्व के बड़े रावण बनाने का रिकॉर्ड भी दिल्ली में बनाया. इसे तोड़ने के लिए कोटा में इस टीम के साथ काम कर रहे हैं. वे कोटा में 215 फीट ऊंचा रावण बनाएंगे.
44 लाख रुपए खर्चा
तेजेंद्र चौहान का कहना है कि विश्व रिकॉर्ड का रावण बनाने के लिए 44 लाख रुपए में टेंडर लिया था, हालांकि इससे ज्यादा खर्च होना बता रहे हैं. उनका कहना था कि 100 फीट का रावण अपने गांव में खड़ा कराते थे, तब हजारों रुपए खर्च होते थे. दिल्ली में विश्व रिकॉर्ड वाले 210 फीट के रावण को खड़ा करने में हजारों खर्च हुए, लेकिन कोटा में क्रेन मालिक लाखों रुपए मांग रहे हैं. इसे खड़े करने में दो बड़ी क्रेन, एक बैकहो लोडर और 100 मजदूर लगेंगे.
रावण की बदली जगह
नगर निगम में मेला समिति के अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने कहा कि पहले विजय श्रीरंगमंच के बाहर रावण दहन होता था, लेकिन इस बार विश्व रिकॉर्डधारी रावण बनेगा. सुरक्षा के लिहाज से डी बनाएंगे ताकि कोई भी इसके अंदर ना जा सके और रावण को सुरक्षित खड़ा किया जा सके, इसीलिए किशोरपुरा थाने की तरफ रास्ते के नजदीक इसे खड़ा किया जाएगा. इस पूरे क्षेत्र को बैरिकेड्स से पैक करेंगे.
तेजेंद्र चौहान ने अपने हिसाब से पहले रावण के चेहरे पर पर्पल कलर किया था. चेहरा करीब 25 फीट ऊंचा और 15 फीट चौड़ा है. इसे फाइबर से तैयार किया. रंग पर आपत्ति के बाद इसे स्किन कलर का किया गया. रंग करने में भी काफी मशक्कत होती है. खड़ा होने के बाद यह 2 किलोमीटर दूर से नजर आएगा. इसका चेहरा अलग लगेगा. तीनों पुतलों का चेहरा एलइडी लाइट से अलग चमकेगा.
तेजेन्द्र चौहान ने बताया कि इस बार रावण 10 मिनट जलाने की योजना है. इसकी तैयारी शुरू कर दी. रावण, मेघनाद और कुंभकरण के सीधा खड़ा होने के बाद 30 सितंबर से उसमें आतिशबाजी और ग्रीन पटाखे लगाने का काम शुरू करेंगे. इससे पूरा सिस्टम रिमोट कंट्रोल से काम करेगा. लाखों रुपए की आतिशबाजी लगाएंगे.रावण के पुतले में 15 हजार से ज्यादा ग्रीन पटाखे लगाए जाएंगे. जबकि 60-60 फीट के मेघनाद और कुंभकरण के पुतले में चार-चार हजार ग्रीन पटाखे लगाएंगे. रावण में 20 जगह रिमोट कंट्रोल होगा, ताकि अलग-अलग समय पर हिस्सेवार दहन किया जा सके. उसकी जलने की टाइमिंग बढ़ाई जा सके. कुंभकरण और मेघनाद में 10-10 रिमोट कंट्रोल सिस्टम होंगे.