संगीत के सुरों से गूंजेगा कुचामन: 5 मई से शुरू होगा भारतीय संगीत सदन का ग्रीष्मकालीन शिविर 2025

डीडवाना – कुचामन : कुचामन शहर एक बार फिर सुरों, तालों और नृत्य की मधुर गूंज से जीवंत होने जा रहा है. भारतीय संगीत सदन द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन संगीत एवं नृत्य शिविर 2025 का भव्य शुभारंभ 5 मई से होने जा रहा है। यह आयोजन स्वर्गीय उर्मिला देवी सत्यनारायण कनोई (मुंबई) की स्मृति में, उनके सौजन्य से संपन्न होगा.

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यह 40 दिवसीय शिविर संगीत, नृत्य और कला में रुचि रखने वाले बच्चों, किशोरों एवं युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है, जिसमें भाग लेकर वे अपने हुनर को निखार सकेंगे. कुचामन शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से आने वाले प्रतिभागी भी इस सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा बन सकेंगे.

कला की विभिन्न विधाओं में मिलेगा प्रशिक्षण
इस शिविर में गायन, ढोलक, तबला, गिटार, कत्थक, लोक नृत्य और वेस्टर्न डांस जैसी विधाओं में प्रशिक्षित और अनुभवी शिक्षकों द्वारा दो पारियों में गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह शिविर न केवल कला का अभ्यास है, बल्कि अनुशासन, समर्पण और संस्कृति का संगम भी है.

सफलता के लिए सक्रिय संयोजक मंडल
संगीत सदन के अध्यक्ष घनश्याम गौड़  ने बताया कि शिविर की सफलता सुनिश्चित करने हेतु एक समर्पित संयोजक मंडल गठित किया गया है। इसमें भानु प्रकाश ओडिचय, प्रभात प्रधान, सुनील माथुर, किशनलाल (निमोद वाले), मुकेश राजपुरोहित जैसे अनुभवी और सक्रिय सदस्य अपनी नि:शुल्क सेवाएं देंगे.

हर वर्ष सैकड़ों प्रतिभागियों का मिलता है साथ
संगठन के सचिव शिवकुमार अग्रवाल ने जानकारी दी कि इस शिविर में प्रतिवर्ष 100 से अधिक छात्र-छात्राएं भाग लेते हैं और 40 दिनों तक नियमित अभ्यास कर संगीत एवं नृत्य की विधाओं में दक्षता प्राप्त करते हैं.

बैठक में दिखा उत्साह और प्रतिबद्धता
शिविर की रूपरेखा तय करने के लिए रविवार को आयोजित हुई कार्यकारिणी की बैठक में सत्यनारायण मोर, प्रदीप आचार्य, प्रकाश चंद टेलर, महेंद्र मिश्रा, विमल पारीक, प्रकाश दाधीच, असलम, रमेश चावला सहित अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने शिविर को सफल व प्रभावशाली बनाने हेतु अपनी सक्रिय भूमिका निभाने का संकल्प लिया.

पंजीकरण शीघ्र करें – स्थान सीमित हैं
भारतीय संगीत सदन के प्रकाश दाधीच और विमल पारीक ने बताया की यह शिविर न केवल प्रतिभा को तराशने का अवसर है, बल्कि जीवन भर की यादें संजोने और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़ने का माध्यम भी है। इच्छुक अभिभावक व छात्र समय रहते पंजीकरण करवाएं क्योंकि स्थान सीमित हैं.

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