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रातोरात मालामाल हुआ मजदूर, पाया एक करोड़ का हीरा, बन पाएगा मालिक या सरकार कर लेगी जब्त?

मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में जिस आदिवासी मजदूर को हीरा खदान से 19.22 कैरेट का हीरा मिला है उसकी कीमत एक करोड़ रुपये आंकी जा रही है. मजदूर ने उस हीरे को हीरा कार्यालय में जमा कराया है. उसकी नीलामी के बाद मजदूर को रकम दी जाएगी. लेकिन नीलामी के बाद मिलने वाली रकम उसे पूरी नहीं मिलेगी. उस रकम में से इनकम टैक्स और रायल्टी की राशि काटी जाएगी. मतलब साफ है मजदूर को करोड़ में नहीं बल्कि लाखों में रुपये मिलेंगे. फिलहाल उसके घर में खुशी का माहौल बना हुआ है.

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दरअसल, पन्ना जिले के अहिरगवां गांव निवासी दिहाड़ी मजदूर चुनवादा गोंड ने 20 मई को पन्ना के कृष्ण कल्याणपुर के पटी इलाके में हीरा खदान खोदने के लिए पट्टा बनवाया था. उसने इसके लिए 200 रुपये की रसीद हीरा कार्यालय से कटवाई थी. उसको उत्खनन के लिए पट्टे में 8×8 मीटर की जगह दी गई थी. उसके बाद चुनवादा ने खुदाई शुरू की. वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खुदाई में जुट गया. 2 महीने की दिन-रात मेहनत करने के बाद उन्हें खुदाई में बेशकीमती हीरा मिला, जिसे देखकर सभी खुशी से उछल पड़े.

इतना कटेगा इनकम टैक्स और रायल्टी

पन्ना के हीरा कार्यालय के एक अधिकारी के मुताबिक, 19.22 कैरेट के इस हीरे को अगली नीलामी में खुली बोली के जरिए बिक्री के लिए रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि इस हीरे की कीमत करीब के करोड़ रुपये तक हो सकती है. यह हीरा कच्चा है और इसी की नीलामी की जाएगी. उनका कहना है कि हीरे से मिलने वाली राशि पर सरकारी नियमों के मुताबिक 30 प्रतिशत आयकर और 12 प्रतिशत रायल्टी की रकम काटी जाएगी, बाकी बची राशि मजदूर को दे दी जाएगी.

मजदूर के परिवार में खुशी का माहौल

माना जाए अगर हीरे की नीलामी 1 करोड़ रुपये की होती है तो इसमें से 30 प्रतिशत इनकम टैक्स के 30 लाख रुपये और 12 प्रतिशत रायल्टी के 12 लाख रुपये यानि कुल 42 लाख रुपये 1 करोड़ रुपयों में से काटे जाएंगे. इस हिसाब से मजदूर को करीब 58 लाख रुपये मिलेंगे. मजदूर चुनवादा गोंड के बेटे राजू गोंड का कहना है कि हीरे से मिलने वाली धनराशि से वो अपने बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करेंगे. साथ ही खेत भी खरीदेंगे. हीरा मिलने से राजू के परिवार की जिन्दगी बदल गई है. अब उन्हें नीलामी का इंतजार है.

ऐसे मिलता है खुदाई का पट्टा

जिस जगह मजदूर को हीरा मिला है वहां 300 सालों से हीरे मिलने का सिलसिला जारी है. खदान में खुदाई के लिए पहले हीरा कार्यालय से रशीद कटवाकर पट्टा बनवाना पड़ता है. फिर वहां एक जमीन का टुकड़ा खुदाई के लिए मिलता है. उसकी खुदाई में निकलने वाली मिट्टी को पानी से धोया जाता है. मिट्टी हटने पर जो कंकड़ बचते हैं उन्हीं में हीरा मिलने की उम्मीद होती है.

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