ओडिशा के डेरेबिस ब्लॉक में एक दर्दनाक घटना सामने आई है. यहां महिला एवं बाल विकास विभाग में तैनात प्रेग्नेंट क्लर्क वर्षा प्रियदर्शिनी के सात महीने के गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई. आरोप है कि बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO) स्नेहलता साहू ने उत्पीड़न किया और प्रसव पीड़ा के बाद भी न छुट्टी दी और न ही मेडिकल हेल्प मुहैया कराई. इस घटना के बाद आक्रोश का माहौल हो गया है. इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की रही है.
पीड़ित महिला क्लर्क वर्षा प्रियदर्शिनी ने कहा कि यह प्रताड़ना पिछले तीन सालों से झेल रही थी. इसके कारण मेरे बच्चे की मृत्यु हो गई. इस प्रताड़ना का सीधा असर मेरे बच्चे पर पड़ा. सीडीपीओ मैडम ने मुझे बहुत परेशान किया. मेरे प्रेग्नेंट होने के बाद प्रताड़ना और बढ़ गई. मुझे बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी मैं काम कर रही थी.
वर्षा प्रियदर्शिनी ने कहा कि वह पिछले तीन साल से सीडीपीओ के उत्पीड़न का शिकार हो रही है. प्रेग्नेंसी के दौरान उत्पीड़न बढ़ता चला गया. प्रसव पीड़ा के बावजूद CDPO स्नेहलता साहू ने ऑफिस से जाने की परमिशन नहीं दी और न ही किसी तरह की मेडिकल हेल्प की व्यवस्था की.
पीड़िता ने कहा कि मेरी तकलीफ को न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि जब इस बारे में उनसे बात की तो बदसलूकी से जवाब दिया. इसके बाद परिवार के सदस्यों को सूचना दी. वे प्राइवेट अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने गर्भस्थ शिशु की मौत की पुष्टि की.
इस मामले के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वर्षा अपने परिजनों के साथ कार्यालय में CDPO के साथ बहस करते दिखीं. इस वीडियो के सामने आने के बाद इस घटना सुर्खियों में आ गई.
डिप्टी सीएम ने लिया एक्शन… सीडीपीओ को पद से हटाया
इस मामले को लेकर राज्य की डिप्टी चीफ मिनिस्टर प्रवती परिदा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए CDPO स्नेहलता साहू को उनके पद से हटा दिया और कलेक्टर को घटना की पूरी जांच करने का आदेश दिया है. वहीं कलेक्टर का कहना है कि जांच के बाद मामले में सख्त कदम उठाए जाएंगे.
वहीं ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर अनिरुद्ध बेहेरा ने भी जांच के बाद मामले को उच्च अधिकारी के पास भेजने की बात कही है. बर्शा ने इस घटना को लेकर कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से भी शिकायत की है और आरोपी महिला अफसर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.