Lakhimpur Kheri: आध्यात्मिक, सांस्कृतिक विरासत को सहेजें और आगे बढ़ाएं, कबीरधाम से संघ प्रमुख ने दिया संदेश

लखीमपुर खीरी: संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कबीरधाम में आयोजित सत्संग में सधे अंदाज में देश की आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत को सहेजने, उसे आगे बढ़ाने का संदेश दिया, उन्होंने भारत वर्ष की सशक्त स्थिति की बात कहते हुए इसे और आगे बढ़ाने के लिए नागरिकों को कर्तव्य बोध कराया.

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आरएसएस के शताब्दी वर्ष में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का लखीमपुर खीरी में दिया गया उद्बोधन विकसित भारत के निर्माण की यात्रा में युवाओं को सेवा व समर्पण के लिए प्रेरित करने वाला रहा। कबीरधाम में तकरीबन 40 मिनट संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने विचार व्यक्त किए, उनकी बात देश की अनेकता में एकता पर ही प्रमुख रूप से केंद्रित रही.

संघ प्रमुख ने उद्बोधन की शुरुआत आध्यात्मिक चर्चा से की, उन्होंने कहा कि, हमें क्या बनना है, क्या हमने ये पहचाना है, इसे समझना जरूरी है, देशभक्ति हो या देवभक्ति, व्यक्ति बाहर के ही जीवन में अटक जाता है, मैं और मेरा में अटक जाता है.

संघ प्रमुख ने जहां सनातन संस्कृति की गौरवशाली गाथा यह कहकर बताई कि हमने ज्ञान, विज्ञान, गणित सब दुनिया को दिया, पर कभी अहंकार नहीं किया, हमने कभी कुछ पेटेंट नहीं कराया, यही दान की भावना हमें भारतीय बनाती है, वहीं सनातन संस्कृति की उदारता का संदेश यह कहकर दिया कि हमने कभी किसी देश पर कब्जा नहीं किया.

स्वयं को भारतीयता का बोध कराने का किया आह्वान 

सर संघचालक ने कहा कि पुरानी कहावत है कि जर्मनी में भारत से एक चतुर्वेदी पहुंचे, जर्मनी में लोगों ने सोचा कि भारत से चतुर्वेदी आ रहे हैं तो वे चारों वेद के ज्ञाता होंगे, उनका भव्य स्वागत जर्मनी में संस्कृत में किया गया, लेकिन जब जर्मनी के लोगों ने उनसे वेद के विषय में कुछ बताने को कहा, तो वेद छोड़िए वह संस्कृत तक नहीं जानते थे, संघ प्रमुख ने कहा कि हमें भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा.

कबीर की वाणी को बताया सामाजिक चेतना की पुकार

संघ प्रमुख ने कहा कि कबीर की वाणी केवल भक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की पुकार है, उनका चिंतन आज के समाज को दिशा देने की क्षमता रखता है। संघ भी इसी चेतना को लेकर समाज में समरसता, संतुलन और संस्कारों का संचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि आत्मा की उपासना करते हुए हम स्वयं को शुद्ध कर सकते हैं। हमारे संतों ने इसे प्रत्यक्ष रूप से प्रयुक्त किया है.

यह स्थान अब और मनभावन हो जाएगा: असंग देव

कबीरधाम के प्रमुख असंग देव महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि वह डॉ. मोहन भागवत के माता-पिता को नमन करते हैं, जिन्होंने ऐसे संस्कारी पुत्र को जन्म दिया, जो मातृभूमि, गो माता, धरती माता, भारत माता और गुरु के प्रति गहन श्रद्धा और सेवा भाव रखते हैं। उन्होंने कहा कि धरती माता, गो माता, यही हमारी संस्कृति हैं.

उन्होंने कहा कि यह स्थान पहले से ही पवित्र रहा है, मगर संघ प्रमुख के आगमन के पश्चात यह स्थान अब और मनभावन हो जाएगा. उन्होंने कहा कि धरती पर वही माता पुत्रवती है, जिसका पुत्र लोकभावना के साथ कार्य करता है, इससे पहले मंच पर पहुंचकर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भगवत ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस अवसर पर उन्होंने कबीरधाम, मुस्तफाबाद में नवीन आश्रम का शिलान्यास भी किया.

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