लखीमपुर खीरी: जिले में 12 साल के बालक और 100 से अधिक पालतू पशुओं का शिकार करने वाली बाघिन को वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया. इस बाघिन ने पांच महीने से कई गांवों में दहशत फैला रखी है. लखीमपुर खीरी के मैलानी और गोला रेंज क्षेत्र में पिछले 5 माह से दहशत का पर्याय बनी बरौंछा की बाघिन बुधवार रात बकरी के लालच में वन विभाग के पिंजरे में फंस गई. इसके बाद ग्रामीणों के साथ वन विभाग की टीम ने भी राहत की सांस ली. बाघिन का नया ठिकाना अब दुधवा टाइगर रिजर्व का जंगल होगा.
मैलानी और गोला रेंज की सीमा पर बरौंछा नाला क्षेत्र से सटे कुकरा, ढ़ाका, कुंवरपुर, हजरतपुर, देवीपुर, प्रतापपुर समेत दो दर्जन से अधिक गांवों के अलावा बांकेगंज-कुकरा मार्ग पर बाघिन की पिछले पांच माह से चहलकदमी बनी हुई थी. यह बाघिन कुकरा गांव निवासी प्रदीप कुमार (12) और 100 से अधिक पालतू पशुओं की जान ले चुकी थी. दहशत के कारण किसान खेतों की ओर जाने से कतराने लगे थे. बच्चे भी घरों में कैद होकर रह गए थे. बाघिन के खौफ से शाम ढलने से पहले बांकेगंज-कुकरा मार्ग पर सन्नाटा पसर जाता था.
वन विभाग ने लगवाए थे तीन पिंजरे और 24 कैमरे
बाघिन के ताबड़तोड़ हमलों से लोगों का वन विभाग के प्रति आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा था. इस पर हरकत में आए वन विभाग ने इलाके में बाघिन को पकड़ने के लिए तीन पिंजरे और 24 कैमरे भी लगाए गए. उसकी तलाश के लिए ड्रोन भी उड़ाया, लेकिन वह वन विभाग के हत्थे नहीं चढ़ सकी. वह लगातार ठिकाना बदलकर निगरानी टीमों को चकमा देती रही.
बकरी के लालच में फंसी बाघिन
वन विभाग ने ग्रंट नंबर 11 पंचायत के देवीपुर गांव के पास खेत में लगे पिंजरे में बकरी बांधी गई थी. बकरी के लालच में बाघिन पिंजरे में कैद हो गई. बुधवार रात दो बजे निगरानी टीमों को उसकी दहाड़ सुनाई दी. फॉरेस्टर अजीत श्रीवास्तव, अफजल, वॉचर विपिन सिंह जब देखने के लिए पहुंचे तो बाघिन को कैद पाकर रेंजर संजीव तिवारी को सूचना दी.
सूचना पाकर दक्षिण खीरी वन विभाग के डीएफओ संजय बिश्वाल भी रात में ही देवीपुर गांव पहुंच गए. ट्रैक्टर-ट्रॉली से पिंजरे में बंद बाघिन को गोला रेंज भेज दिया. इस दौरान मौके पर ग्रामीणों की भीड़ लगी रही. बाघिन पकड़े जाने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है. बताया गया है कि बाघिन को दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में छोड़ा जाएगा.