Land For Job Case: लालू यादव ने की CBI FIR रद्द करने की मांग, जांच को बताया अवैध

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ लैंड फॉर जॉब यानी जमीन के बदले नौकरी के कथित घोटाला मामले में सोमवार (8 सितंबर) को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान लालू के वकील ने कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं और मामले में दर्ज सीबीआई FIR को रद्द करने की मांग की.

Advertisement1

सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद प्रसाद की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा यह FIR आवश्यक मंजूरी के बिना दर्ज की गई. सिब्बल ने जस्टिस रवींदर डुडेजा के सामने कहा कि FIR दर्ज करने के लिए PC एक्ट के तहत मंजूरी जरूरी थी, जो नहीं ली गई. सिब्बल ने कहा कि सीबीआई ने FIR बिना PC (भ्रष्टाचार निवारण) एक्ट के तहत अनिवार्य मंजूरी के दर्ज की.

कपिल सिब्बल ने दी दलीलें

सिब्बल ने कहा कि पूरी जांच अवैध है. मंजूरी के बिना जांच शुरू ही नहीं हो सकती थी. उन्होंने यह भी कहा कि मंजूरी की आवश्यकता तब थी जब यादव रेल मंत्रालय की जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे. उन्होंने आगे कहा कि हम सिर्फ FIR को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. जांच शुरू नहीं हो सकती.

सिब्बल ने आरोपों के बारे में बताया

कपिल सिब्बल ने कोर्ट को लालू प्रसाद के खिलाफ लगे आरोपों के बारे में बताते हुए कहा कि आरोप है कि लालू प्रसाद ने रेल मंत्री रहते हुए जमीन के बदले उम्मीदवारों को ग्रुप D की नौकरियां दीं. आरोप यह भी है कि उन्होंने रेलवे अधिकारियों पर फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए दबाव डाला. यह मामला उनके रेल मंत्री होने से जुड़ा है. अब वे कह रहे हैं कि मैंने कोई सिफारिश नहीं की. यह भारतीय रेल के अधिकारियों ने किया था. लेकिन क्या मैंने उन पर दबाव डाला? अगर ऐसा है तो मुझ पर मुकदमा क्यों चल रहा है? वे यह नहीं बता पा रहे कि उन्होंने अधिकारियों के लिए अनुमति क्यों ली, उनका कहना है कि उन्होंने बहुत सावधानी बरती. संज्ञान बाद में लिया जाएगा, पहले जांच करनी होगी

कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि मंजूरी की आवश्यकता थी, क्योंकि रेल मंत्री के रूप में लालू यादव आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हम मंज़ूरी न मिलने को चुनौती दे रहे हैं. वे FIR दर्ज नहीं कर सकते थे. जांच शुरू नहीं हो सकती. हम सिर्फ़ आरसी को रद्द करवाने में रुचि रखते हैं. सिब्बल ने कहा कि बिना मंजूरी के FIR दर्ज करना और जांच शुरू करना अमान्य है. लालू यादव का पक्ष है कि सीबीआई की दर्ज FIRमें ठोस आधार नहीं है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए.

25 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

कपिल सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि मंजूरी न होने का असर केवल PC एक्ट के तहत अपराधों पर होगा, IPC के मामलों पर नहीं. मामले की सुनवाई अगली बार 25 सितंबर को होगी.

Advertisements
Advertisement