Rajasthan News: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे से जुड़ी याचिका को खारिज करने के लिए दरगाह कमेटी ने कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की थी. इस एप्लिकेशन में कहा गया कि मंदिर के दावे वाली याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए. इस पर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता से जवाब मांगा, जिसके बाद गुप्ता ने अपना पक्ष रखा. दरगाह कमेटी ने जवाब देने के लिए समय मांगा, और मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख तय कर दी गई.
अजमेर वेस्ट कोर्ट में वन 10 से जुड़ी अर्जियों पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि वादी विष्णु गुप्ता ने अधिक समय की मांग की. गुप्ता ने तर्क दिया कि मंदिर के दावे को खारिज करने के लिए दाखिल याचिका (7/11) खारिज की जानी चाहिए. उन्होंने कहा किया कि अजमेर दरगाह में मंदिर के अस्तित्व को साबित करने वाले कई सबूत कोर्ट में पेश किए गए हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वर्शिप एक्ट इस मामले में लागू नहीं होता, क्योंकि दरगाह या कब्रिस्तान को वर्शिप एक्ट के तहत पूजा पद्धति के स्थानों (मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा) में शामिल नहीं किया गया है.
मामले में अब तक 11 प्रतिवादियों ने पक्षकार बनने के लिए अर्जियां दी है. कोर्ट में वकील हुसैन मोइन फारूक को धमकी मिलने की भी घटना सामने आई, जिस पर जज ने पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए. दरगाह दीवान के बेटे ने याचिका को अधूरी जानकारी पर आधारित बताया. मामले में आगे की कार्रवाई के लिए सभी पक्ष कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट के वकील हुसैन मोइन फारूक, जो वन 10 की एप्लीकेशन दायर करने के लिए आए थे और दिल्ली में प्रैक्टिस करते हैं, ने सुनवाई के दौरान एक गंभीर घटना की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वे सुबह 10 बजे कोर्ट पहुंचे और सुनवाई 2:30 बजे होनी थी. इस बीच, एक व्यक्ति, जिसने खुद को मीडिया का सदस्य बताया, ने उन्हें धमकी दी कि अगर वह 2:30 बजे सुनवाई में आए, तो उन्हें गोली मार दी जाएगी. इस घटना की जानकारी वकील ने जज को दी, जिसके बाद जज ने पुलिस को मामले में उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
वहीं, इस दौरान, विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि उनके पास मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक प्रमाण है, जिनमें पृथ्वीराज विजय नामक 1250 ईस्वी की संस्कृत पुस्तक शामिल है. उन्होंने कहा कि वर्शिप एक्ट दरगाह पर लागू नहीं होता और एएसआई सर्वे की मांग की.