दिल्ली में एक बार फिर वकील हड़ताल पर जाएंगे. 8 सितंबर से वो अपनी यह हड़ताल शुरू करेंगे. हड़ताल के शुरू होने से पहले दिल्ली की सभी जिला बार एसोसिएशन की समिति की पटियाला हाउस कोर्ट में एक बैठक हुई. इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि वकीलों की 8 सितंबर से शुरू होने वाली हड़ताल को न तो टाला जाएगा और न ही वापस लिया जाएगा.
नई दिल्ली बार एसोसिएशन (एनडीबीए) की ओर से जारी सूचना में बताया गया कि शनिवार को समिति की एक बैठक हुई, जिसमें पुलिस की तरफ से थानों से ही ऑनलाइन तरीके से अदालत में सबूत पेश करने के मुद्दे पर चर्चा की गई. वकील पुलिसवालों के थानों से ही सबूत पेश करने का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि इससे लोगों को न्याय नहीं मिलेगा. इसी के चलते वो इसके खिलाफ एक बार फिर हड़ताल कर रहे हैं. वकीलों की मांग है कि पुलिसकर्मी अदालत में सिर्फ फिजिकल (सामने आकर) ही गवाही दें.
बार काउंसिल की अपील को ठुकराया
दरअसल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन ने वकीलों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी. इसके बावजूद भी वकीलों ने इसको वापस नहीं लिया. वकीलों ने कहा, हमने साफ कहा है कि यह आंदोलन आम जनता के हित में है ताकि मुकदमे निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से चल सकें. इसलिए तय किया गया है कि अगर हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो वकील 8 सितंबर से अनिश्चितकाल के लिए काम बंद रखेंगे और आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
क्यों कर रहे हैं हड़ताल?
सूचना में कहा गया है, हम अपनी मांग पर अडिग हैं और दोहराते हैं कि पुलिसकर्मियों को गवाही/सबूत देने के लिए अदालतों में उपस्थित होना होगा. एनडीबीए सचिव तरुण राणा ने बताया कि शनिवार को बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष का एक पत्र हासिल हुआ जो दिल्ली की सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशन के अध्यक्षों और सचिवों को संबोधित था. उसमें आंदोलन को वापस लेने का अनुरोध किया गया था.
राणा ने आगे कहा, हालांकि, हम यह साफ करना चाहते हैं कि समन्वय समिति ने आम जनता के हितों की रक्षा के लिए यह आंदोलन शुरू किया है और जब तक हमारी उचित मांग पूरी नहीं होती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा.
बयान में यह भी कहा गया, यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि अगर गवाही/सबूत पेश करने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों की अदालत में व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जाती, तो हम आठ सितंबर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार के अपने निर्णय पर कायम रहेंगे और यह आंदोलन और तेज किया जाएगा.
पहले भी हुई थी हड़ताल
इससे पहले दिल्ली के वकीलों ने 22 अगस्त को इसी मामले को लेकर हड़ताल शुरू की थी. यह हड़ताल 28 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रतिनिधि से हुई मुलाकात के बाद खत्म की गई थी. दरअसल, 13 अगस्त को दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसमें पुलिस अधिकारियों को थाने से ऑडियो और वीडियो के जरिए ही गवाही देने की छूट दी गई थी. वकीलों का विरोध इसी आदेश को लेकर है. वकीलों की दलील है कि ये आदेश जनविरोधी है.
इसी मामले को लेकर जिला अदालतों की समन्वय समिति और दिल्ली बार काउंसिल के प्रतिनिधियों का एक डेलीगेशन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिला था. चर्चा के बाद गृह मंत्री ने कहा था कि इसको लेकर सर्कुलर जारी किया जाएगा, जिसमें साफ किया जाएगा कि पुलिस अधिकारियों को थाने से गवाही देने की छूट नहीं होगी और गवाही देने के लिए और बाकी सबूतों को पेश करने के लिए कोर्ट ही जाएंगे. लेकिन, वकीलों का कहना है कि फिर 4 सितंबर को पुलिस कमिश्नर के दफ्तर से एक सर्कुलर आया, जो गृह मंत्री की ओर से दिए गए आश्वासन के मुताबिक नहीं आया. इसी के बाद अब वकीलों ने फिर से हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया है.