ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 पर मप्र हाईकोर्ट में कानूनी चुनौती

केंद्र सरकार के नए ऑनलाइन गेमिंग एक्ट 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में दलील दी गई है कि यह कानून युवाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करता है और फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे कौशल-आधारित खेलों को अवैध बताने का प्रयास कर रहा है। इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी।

रीवा की क्लबूबम 11 स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ पुष्पेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट पहले ही फैंटेसी स्पोर्ट्स को कौशल-आधारित खेल मान चुके हैं, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा पूरे सेक्टर को अवैध बताना असंवैधानिक है। कंपनी का कहना है कि यह कानून न केवल उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि युवाओं के अधिकारों और उनके करियर विकल्पों को भी सीमित कर देगा।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेमिंग उद्योग देशभर में लाखों युवाओं को रोजगार और आय का स्रोत उपलब्ध कराता है। यदि इस कानून को लागू किया गया तो न केवल उद्योग पर असर पड़ेगा, बल्कि इसके कारण विदेशी निवेश पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए उन्होंने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि इस कानून पर रोक लगाई जाए और फैंटेसी स्पोर्ट्स जैसे खेलों को अलग श्रेणी में मान्यता दी जाए।

मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते करने के निर्देश दिए हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कोर्ट इस कानून को लेकर क्या रुख अपनाता है, क्योंकि यह फैसला पूरे ऑनलाइन गेमिंग उद्योग और लाखों खिलाड़ियों के भविष्य पर सीधा असर डालेगा।

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