महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को दशहरा रैली से उद्धव ठाकरे पर जमकर हमला बोला. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले दशहरा पर आयोजित रैली को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिन लोगों ने बालासाहेब ठाकरे का आदर्शों के साथ बईमानी की है. उनसे शिवसेना को उन्होंने आजाद किया है.
उन्होंने कहा कि मेरे सभी हिंदू भाई-बहन और माताएं जो इकट्ठे हुए थे, बाला साहेब इसी गर्जना से शुरुआत करते थे. तब मेरे साथ-साथ सभी लोग जोश में आ जाते थे. यह बात हर किसी को याद है. गर्व से कहो हम हिंदू हैं. ये सिंह गर्जना बाला साहेब ने देश को दी थी, लेकिन कुछ लोगों को इस शब्द से एलर्जी है. हिंदू माने जाने में शर्म महसूस हो रही है. हिंदू हृदयसम्राट कहते ही कुछ लोगों की जुबानें फड़कने लगती हैं, लेकिन हमें ये शब्द कहने में गर्व है.
उन्होंने कहा कि हमने शिवसेना को उन लोगों से मुक्त कराया जो बाला साहेब के विचारों के साथ बेईमानी कर रहे थे. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दशहरा सभा की जोरदार शुरुआत करते हुए कहा कि यह आजाद शिव सेना की आजाद सभा है.
विद्रोह नहीं किया होता तो शिवसैनिक कुचल दिए जाते
सीम शिंदे ने कहा कि वह छुपने वाले मुख्यमंत्री नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह लोगों के कल्याण के लिए सड़कों पर उतरने वाले मुख्यमंत्री हैं. बाला साहेब ने कहा था, अन्याय मत सहो. जब अन्याय होने लगा तो हमने विद्रोह कर दिया. अगर हमने विद्रोह नहीं किया होता तो शिवसैनिक कुचल दिये गये होते.
उन्होंने कहा कि सच्चे शिवसैनिकों का अपमान होता और महाराष्ट्र कई साल पीछे चला गया होता. जब हमारी सरकार आई तो हमने महाराष्ट्र को नंबर वन बनाने का काम किया. महाविकास अघाड़ी के दौरान सरकार तीसरे नंबर पर थी. छह माह में हमने प्रदेश को नंबर एक पर ला दिया.
मुझे हल्के में मत लें, शिवसैनिक मैदान नहीं छोड़ता
उन्होंने कहा कि रैली में हर तरफ से लोग आ रहे हैं. यह सागर अंत तक फैला हुआ है. भगवा उत्साह फैल रहा है. महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन को घर भेजकर हमारी सरकार आई है.
उन्होंने कहा कि उस समय कुछ लोग कह रहे थे कि सरकार 15 दिन भी नहीं चलेगी. एक महीने में गिर जाएगी, छह महीने में गिर जाएगी, लेकिन एकनाथ शिंदे आलोचकों से बचे रहे और लोगों के आशीर्वाद से दो साल पूरे किए. मैं बाला साहेब का शिवसैनिक हूं. आनंद दिघे का शिष्य हूं. मुझे हल्के में मत लें. कट्टर शिवसैनिक मैदान नहीं छोड़ता है.
उन्होंने कहा कि अगर हमने बगावत नहीं की होती तो फेसबुक लाइव ही होता. हम फेसबुक लाइव नहीं हैं, हम आमने-सामने काम करने वाले लोग हैं. कहा जाता है कि बाला साहेब एक ऐसे नेता थे जो सदन में नहीं रहते, लेकिन जनता के दरवाजे की शोभा बढ़ाते नजर आते हैं. हमने इसे सीखा