दिल्ली एलजी ने 2010 में एक कार्यक्रम में ‘भड़काऊ’ भाषण के लिए अरुंधति रॉय के खिलाफ यूएपीए के तहत मुकदमा की मंजूरी दी.
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ उनके कथित ‘भड़काऊ’ भाषण के लिए सख्त गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने धारा 45 के तहत अरुंधति रॉय और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
पिछले अक्टूबर में, सक्सेना ने रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ दंडनीय अपराध करने के लिए CRPC की धारा 196 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी.
राज निवास के अधिकारी ने कहा, “सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई और बात की गई, उन्होंने कश्मीर को भारत से अलग करने का प्रचार किया.”
रॉय और शेख शौकत हुसैन के अलावा, भाषण देने वाले अन्य लोगों में दिवंगत हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी शामिल थे.
शिकायतकर्ता कश्मीर के समाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, नई दिल्ली के समक्ष सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत शिकायत दर्ज कराई थी, जिन्होंने नवंबर में शिकायत का निपटारा किया था.
याचिकाकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया कि गिलानी और अरुंधति रॉय ने दृढ़ता से प्रचार किया कि कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था और उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा कर लिया था और इसे स्वतंत्र कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए.
अधिकारियों ने बताया कि तदनुसार, एक प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच की गई.
रॉय मोदी सरकार की बड़ी आलोचक रही हैं और उन्होंने कई मुद्दों पर इसकी आलोचना की है. राज निवास अधिकारी ने कहा कि सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की गई और जिन पर बात की गई, वे कश्मीर को भारत से अलग करने का प्रचार करते हैं. दिल्ली के राज्यपाल के इस आदेश के बाद सियासी भूचाल आना तय माना जा रहा है.