डॉक्टर पति को करंट लगाकर मारने वाली केमिस्ट्री प्रोफेसर की उम्रकैद बरकरार, MP हाई कोर्ट ने फैसले को सही ठहराया

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने केमिस्ट्री प्रोफेसर रही ममता पाठक की आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखी है. ममता ने 2021 में छतरपुर जिले में अपने डॉक्टर पति की बिजली का झटका देकर हत्या की थी और अपने वैज्ञानिक ज्ञान का इस्तेमाल कर अदालत में बचाव किया था. जस्टिस विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने छतरपुर की अदालत के आजीवन कारावास के फैसले को सही ठहराया.

दरअसल, ममता के पति डॉ. नीरज पाठक की 29 अप्रैल 2021 को छतरपुर के लोकनाथपुरम कॉलोनी में उनके घर पर मृत्यु हुई थी. उनके शरीर पर बिजली के झटके के निशान मिले थे. वह छतरपुर जिला अस्पताल में कार्यरत थे.

हाई कोर्ट ने कहा कि साक्ष्य इस ओर इशारा करते हैं कि ममता ने पहले अपने पति को बेहोश किया और फिर बिजली का झटका देकर उनकी हत्या की. अदालत ने सजा के अस्थायी निलंबन को रद्द करते हुए ममता को शेष सजा काटने के लिए तुरंत निचली अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया. इस साल अप्रैल में हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था.

10 महीने पहले डॉक्टर के साथ रहने आई थी

अभियोजन पक्ष ने बताया कि ममता अपने पति की मृत्यु से सिर्फ 10 महीने पहले उनके साथ रहने आई थी और घटना के समय घर में मौजूद थी. अभियोजन पक्ष ने कहा कि हाई कोर्ट के अनुसार, उस दिन घर में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आया था. दंपति के बीच तनाव था, क्योंकि ममता अक्सर अपने पति के किसी अन्य महिला से संबंध को लेकर झगड़ती थी.

डॉक्टर ने रिश्तेदार को बताया पत्नी प्रताड़ित कर रही है

घटना वाले दिन सुबह, डॉ. नीरज ने एक रिश्तेदार को फोन कर बताया कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है, खाना नहीं दे रही और बाथरूम में बंद करके रखती है. उन्होंने सिर में चोट की भी शिकायत की. रिश्तेदार ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद डॉक्टर को बाथरूम से निकाला गया. रिश्तेदार ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी और अदालत में बयान दर्ज कराया.

अदालत में दोषी महिला की दलील

छतरपुर की अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ममता को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. ममता ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी.

इस साल अप्रैल में हाई कोर्ट में ममता ने दलील दी कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण बिजली का झटका बताया गया. उन्होंने कहा कि मृतक के शरीर पर जलने के निशान बिजली और ताप दोनों से थे, लेकिन उनकी तकनीकी जांच नहीं हुई.

उसने बताया कि घर में एमसीबी और आरसीसीबी जैसे सुरक्षा उपकरण थे, जिससे शॉर्ट सर्किट या करंट से मृत्यु संभव नहीं थी. दावा किया कि न तो फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की टीम और न ही किसी बिजली विशेषज्ञ को जांच के लिए घर भेजा गया.

मगर सजा बरकरार

शुरुआती सुनवाई में ममता ने स्वयं अपनी पैरवी की, लेकिन बाद में उनके वकीलों ने उसका पक्ष रखा. 97 पेज के अपने आदेश में अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की पूरी कड़ी आपस में जुड़ी है और दोषी महिला की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा.

 

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