अगले हफ्ते से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर लगातार तैयारी की जा रही है. इस दौरान ढाबा और होटल चलाने वाले कई लोग अपने-अपने होटलों के नाम बदल लेते हैं, इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि सभी मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू हैं, इसलिए उनके नाम बदलने का कोई मतलब नहीं है. इन लोगों को अपना नाम सही रखना चाहिए. अगर लोगों की मर्जी होगी तो वे होटल पर आकर खाना खाएंगे. नाम बदलना व्यावहारिक और धार्मिक रूप से भी गलत है.
पिछले कुछ सालों से ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें कांवड़ यात्रा के दौरान ढेरों लोग ढाबा और होटल के नाम बदलकर अपना बिजनेस कर रहे थे. इस तरह का मामले ने काफी तूल भी पकड़ा. अब नाम बदलकर ढाबा या होटल चलाने को जारी विवाद पर योग गुरु स्वामी रामदेव ने हरिद्वार में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जैसे हमें हिंदू होने पर गर्व है. वैसे सभी मुसलमानों को भी अपने धर्म पर गर्व करना चाहिए.”
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
नाम बदलने का कोई मतलब नहींः रामदेव
उन्होंने यह भी कहा, “सभी मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू हैं इसलिए नाम बदलने का कोई मतलब नहीं है. हर किसी को अपना नाम उजागर करना चाहिए. अगर लोगों की मर्जी होगी तो वे उनके होटल या ढाबे पर आएंगे और खाना खाएंगे. नाम बदलकर बिजनेस करना व्यावहारिक और धार्मिक रूप से गलत है.”
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून कांवड़ मार्ग पर स्थित पंडित जी वैष्णो ढाबा के मालिक ने विवाद बढ़ने के बाद इसे गुरुवार को बंद कर दिया पुलिस ने मामले में शामिल 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने तलाश शुरू कर दी है.
मराठी और हिंदी विवाद पर क्या बोले रामदेव
इस मामले में मुजफ्फरनगर जिले के नई मंडी थाने के एसएचओ दिनेश चंद्र ने बताया कि पुलिस ने ढाबा मालिक दीक्षा शर्मा, संचालक सनावर समेत 5 लोगों के खिलाफ ढाबा के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की पिटाई करने का मामला दर्ज किया है. ढाबे का मालिकाना हक दीक्षा शर्मा के पास है जबकि सनावर इसका संचालन करता था. इसकी जानकारी देने के शक में धर्मेंद्र की पिटाई की गई थी.
महाराष्ट्र में चल रहे मराठी और हिंदी विवाद पर स्वामी रामदेव ने कहा, “देश की सभी भाषाओं के साथ मराठी भाषा का भी सम्मान किया जाना चाहिए. लेकिन अलग-अलग भाषा, वर्ग संप्रदाय के आधार पर हिंदुओं को आपस में नहीं लड़ना चाहिए. इससे सनातन और राष्ट्रीय एकता को क्षति पहुंचती है.”