छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में EOW ने सोमवार को विशेष अदालत में चालान पेश किया। इसमें 20 से ज्यादा उन अधिकारियों के खिलाफ चालान है, जो शराब घोटाला मामले में आरोपी बनाए गए हैं। जिन अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश हुआ है, उनमें से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
इस समय सभी आबकारी विभाग में पदस्थ है। इन अफसरों पर आरोप है कि पिछली सरकार में हुए शराब घोटाले में नेताओं के इशारे पर गड़बड़ियां करते रहे। 5000 पन्नों से ज्यादा का चालान जांच एजेंसी के अधिकारी ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत में 29 बंडलों को लेकर पहुंचे।
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
जिसमें हर एक अधिकारी ने किस तरीके से नेताओं के इशारे पर शराब घोटाले में गड़बड़ी में अपना रोल अदा किया। इसकी पूरी जानकारी अदालत को दी गई है।
अधिकारियों की निगरानी में दुकानों में पहुंचती थी शराब
जांच एजेंसी का दावा है कि, यह शराब घोटाला 2019 से 2023 तक हुआ है। इस दौरान डिस्टलरी से जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों की निगरानी में डुप्लीकेट होलोग्राम लगा अवैध शराब डिस्टलरी से निकलकर सीधे दुकान जाता था।
तत्कालीन सहायक आयुक्त जनार्दन कौरव की निगरानी में डुप्लीकेट होलोग्राम प्रिंट होकर अमित सिंह, दीपक दुआरी और प्रकाश शर्मा के माध्यम से तीनों डिस्टलरी में जाती थी। वहां होलोग्राम लगाकर अवैध शराब सीधे दुकान पहुंचता था। डुप्लीकेट होलोग्राम लगी शराब की बिक्री से अरुणपति त्रिपाठी को 20 करोड़ रुपए का कमीशन मिला है।
जांच एजेंसी का दावा क्या
जांच एजेंसी ने चार्जशीट में बताया है कि फरवरी 2019 से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार शुरू हुआ। शुरुआत में हर महीने 800 पेटी शराब से भरी 200 ट्रक डिस्टलरी से हर माह निकलती थी। एक पेटी को 2840 रुपए में बेचा जाता था। उसके बाद हर माह 400 ट्रक शराब की सप्लाई शुरू हो गई।
प्रति पेटी शराब 3880 रुपए में बेचा जाने लगा। ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 60 लाख से ज्यादा शराब की पेटियां अवैध रूप से बेची गई।
2019 से 2023 तक शराब सप्लायरों से जिला आबकारी अधिकारियों ने 319 करोड़ रुपए की वसूली की है। यह पैसा सिंडिकेट को पहुंचाया गया। अप्रैल 2019 से जून 2022 तक अवैध शराब बेचकर 280 करोड़ रुपए वसूले गए। हर साल 70 करोड़ से ज्यादा की वसूली का टारगेट था। जिला आबकारी अधिकारियों ने इस दौरान 2174.60 करोड़ की 60 लाख पेटी अवैध शराब बेची।
इन अफसरों पर पैसा लेने का आरोप
- तत्कालीन आबकारी आयुक्त IAS निरंजन दास
- तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी रायपुर जनार्दन कौरव
- तत्कालीन उपायुक्त आबकारी अधिकारी धमतरी अनिमेष नेताम
- तत्कालीन उपायुक्त आबकारी महासमुंद विजय सेन शर्मा
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी अरविंद कुमार पटेल
- तत्कालीन सहायक कमिशनर आबकारी प्रमोद कुमार नेताम
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी रामकृष्ण मिश्रा
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी विकास कुमार गोस्वामी
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी इकबाल खान
- तत्कालीन सहायक जिला आबकारी अधिकारी नीतिन खंडजा
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी नवीन प्रताप सिंग तोमर
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी मंजूश्री कसेर
- तत्कालीन सहायक आयुक्त सौरभ बख्शी
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी दिनकर वासनिक
- तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी अशोक कुमार सिंह
- जिला आबकारी अधिकारी मोहित कुमार जायसवाल
- आबकारी उपायुक्त नीतू नोतानी
- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी रविश तिवारी
- आबकारी अधिकारी गरीबपाल दर्दी
- आबकारी अधिकारी नोहर ठाकुर
- आबकारी सहायक आयुक्त सोनल नेताम