आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अक्सर अपने खाने-पीने की आदतों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम आज ही अपने खानपान में सुधार लाएं तो लीवर की बीमारियों का खतरा 50% तक कम किया जा सकता है. 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है. इस साल विश्व लिवर दिवस 2025 की थीम भी है “भोजन ही औषधि है” जो हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारा खाना सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं बल्कि हमारी सेहत का असली रक्षक है.
लिवर की बीमारियां और हमारी ज़िंदगी
लिवर हमारे शरीर का एक बेहद ज़रूरी अंग है, जो 500 से ज़्यादा काम करता है. यह न सिर्फ हमारे शरीर को डिटॉक्स करता है, बल्कि पाचन, मेटाबॉलिज्म और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है. लेकिन खराब भोजन, प्रोसेस्ड फूड, शराब, और निष्क्रिय जीवनशैली इसकी सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर रही है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर हम अपने आहार में बदलाव करके इस बीमारी की जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं. अपनी डाइट में ताज़ा फल, हरी सब्ज़ियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन शामिल करें तो लिवर को दोबारा स्वस्थ किया जा सकता है. उनका मानना है कि लिवर में खुद को ठीक करने की अद्भुत ताकत होती है, बस जरूरत है सही खानपान और जीवनशैली की.
खराब डाइट से लिवर की बीमारियां
आज लिवर की बीमारियां सिर्फ शराब पीने वालों तक सीमित नहीं रहीं. विशेषज्ञों के मुताबिक, अब मोटापा, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और हाई शुगर डाइट भी नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज (NAFLD) का कारण बन रही है. हाल ही में फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन नामक पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि जो लोग प्रो-इंफ्लेमेटरी डाइट यानी सूजन बढ़ाने वाले भोजन खाते हैं, उनमें क्रोनिक लिवर डिजीज (CLD) होने का खतरा 16% ज्यादा होता है.
बच्चों में भी बढ़ रहा खतरा
आज के बच्चों में भी लिवर से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. न्यूट्रिएंट्स नामक पत्रिका की एक रिसर्च बताती है कि प्रोसेस्ड फूड्स और मीठे पेयों में पाए जाने वाला फ्रुक्टोज मोटे बच्चों में फैटी लिवर डिजीज (MASLD) को जन्म दे रहा है. इससे यह ज़रूरी हो जाता है कि माता-पिता बच्चों को ताजा, घर का बना खाना दें और मिठाइयों व पैकेट वाले स्नैक्स से दूर रखें.
जागरूकता और सुधार की जरूरत
लिवर विशेषज्ञों का कहना हैं कि तीन में से एक भारतीय अब फैटी लिवर के खतरे में है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि शुरुआती चरण में जीवनशैली में बदलाव करके इस बीमारी को रोका जा सकता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि घर का बना पौष्टिक खाना खाएं, हाइड्रेटेड रहें, ध्यानपूर्वक खाएं, व्यायाम करें और शराब से दूरी बनाएं.
खानपान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि सिर्फ व्यक्तिगत प्रयास काफी नहीं है, बल्कि सरकार को भी खाद्य लेबलिंग सुधार, पोषण आधारित स्कूल भोजन, और शर्करा व प्रोसेस्ड खाद्य पर टैक्स जैसे कदम उठाने होंगे. साथ ही, यह समझने की ज़रूरत है कि लिवर कोई साइलेंट अंग नहीं है. यह हमारे स्वास्थ्य का आधार है.