पंजाब के लोग बड़ी ही धूम-धाम से लोहड़ी का पर्व मनाते हैं. यह पर्व सुख-समृद्धि व खुशियों का प्रतीक है. लोहड़ी की सबसे ज्यादा धूम हरियाणा और दिल्ली में भी देखने को मिलती है. इस दिन किसान नई फसलों को अग्नि में समर्पित और सूर्यदेव का धन्यवाद करते हैं. इसके बाद मिलकर खुशियों के गीत भी गाते हैं.
क्या है लोहड़ी शब्द का अर्थ?
लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले वाली रात को मनाया जाता है. पंजाब के इस खास पर्व के नाम लोहड़ी का अर्थ है- ल (लकड़ी), ओह (गोह मतलब सूखे उपले) और ड़ी (रेवड़ी), इसलिए इस दिन मूंगफली, तिल, गुड़, गजक, चिड़वे, मक्के को लोहड़ी की आग पर से वारना करके खाने की परंपरा है. इस पर्व में 20-30 दिन पहले से बच्चे लोहड़ी के लोक गीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं. उसके बाद मकर संक्रांति के एक दिन पहले चौराहे या मुहल्ले में किसी खुले स्थान पर आग जलाकर उपले की माला चढ़ाते हैं. इसे चर्खा चढ़ाना कहा जाता हैं.
क्यों मनाते है लोहड़ी?
लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण व दुल्ला भट्टी से जुड़ा हुआ माना गया है. लोक कथा के अनुसार दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति था जिसने कई लड़कियों को अमीर सौदागरों से बचाया था. उस समय लड़कियों को अमीर घरानों में बेच दिया जाता था. दुल्ला भट्टी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और सभी लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई. लोहड़ी के दिन उन्हें याद किया जाता है, इसलिए लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी के गीत गाने की परंपरा है.