Vayam Bharat

कूनो के बाहर रिहायशी क्षेत्रों में चीता की लंबे समय तक मौजूदगी और शिकार बढ़ा रही लोगों की चिंता

ग्वालियर। कूनो नेशनल पार्क की बार-बार हद पार कर आसपास के सीमावर्ती जिलों लंबे समय तक डेरा डालने और शिकार करने को लेकर कूनो प्रबंधन व वन विभाग ज्यादा चिंता में नहीं है, पंरतु लगातार बकरियों के शिकार ने रहवासियों की चिंता जरूर बढ़ा दी है। मादा चीता वीरा ग्वालियर-मुरैना के सीमा क्षेत्र में डेरा डाले हए एक पखवाड़े से ज्यादा हो गया है।

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वह अब ग्रामीणों की बकरियों की शिकार कर भोजन की व्यवस्था भी कर रही है। ऐसे में अब रहवासियों की चिंता है कि इस तरह क्षेत्र में स्वच्छंद रूप से चीते के विचरण कहीं उनके लिए हानिकारक न हो जाए। हालाकि कूनो प्रबंधन का कहना है कि चीता ट्रैकिंग टीम निगरानी कर रही है जिसमें इसका ध्यान रखा जा रहा है कि गांव की आबादी एकजुट होकर चीते को नुकसान न पहुंचाए।

चीता की वास्तविक लोकेशन भी इसलिए सार्वजनिक भी नहीं की जा रही है क्योंकि इससे लोगों में भय न फैले। गांव के लोगों को भी समझाया जा रहा है कि चीता से मानव को नुकसान नहीं है यह हमला नहीं करता है, इसको लेकर सहयोगात्मक रवैया रखें और वन विभाग को सूचना दें।

कूनो नेशनल पार्क में मौजूद 13 चीते और 14 शावकों में से केवल दो ही चीते पवन और वीरा खुले जंगल में हैं, जिसमें ये चीते समीपवर्ती जिले शिवपुरी तो कभी राजस्थान के करौली, बारां तक पहुंच चुके हैं। करौली में तो लोगों ने डंडे लेकर चीता की घेराबंदी तक कर दी थी।

वर्तमान में वीरा चीता ग्वालियर जिले की सीमा में घूम रही है। बकरियों के नियमित शिकार भी कर रही है। कूनो प्रबंधन के अनुसार अब चीतों को रेस्क्यू करके वापस भी नहीं लाया जा रहा है, क्योंकि कूनो से बाहर जंगल में घूमने पर कोई परेशानी नहीं है चीता शिकार भी कर रही है।

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