भारत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर पाकिस्तान की टिप्पणियों को सिरे से खारिज किया है और उसे पहले अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी है. भारत ने कहा कि हमारे आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने के बजाय खुद के यहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कितनी रक्षा होती है और उनके खिलाफ हो रहे अत्याचार के रिकॉर्ड को देख लेना चाहिए.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हम भारत की संसद द्वारा पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रेरित और निराधार टिप्पणियों को दृढ़ता से खारिज करते हैं. पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. जब अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की बात आती है तो पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने के बजाय अपने स्वयं के खराब रिकॉर्ड पर गौर करना चाहिए.’
विदेश मंत्रालय की यह प्रतिक्रिया पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान द्वारा भारत के वक्फ कानून में बदलाव की निंदा करने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि संशोधित वक्फ कानून भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और आर्थिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार शफकत अली खान ने कहा, ‘इस भेदभावपूर्ण कानून का पारित होना भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को भी दर्शाता है. इस बात की गंभीर आशंका है कि यह भारतीय मुसलमानों को और अधिक हाशिए पर धकेलने में योगदान देगा.’
वक्फ (संशोधन) अधिनियम के बारे में जानें
वक्फ (संशोधन) अधिनियम का उद्देश्य देश भर में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करना है. यह 1995 के वक्फ अधिनियम को संशोधित करता है, जो मुसलमानों द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्तियों को नियंत्रित करता है. पिछले साल अगस्त में संसद में पेश किए गए इस विधेयक को विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों की ओर से कड़ा विरोध झेलना पड़ा था, जिसके बाद इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया था.
जेपीसी में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों द्वारा महीनों के विचार-विमर्श के बाद, वफ्फ (संशोधन) विधेयक को 2 अप्रैल को बजट सत्र में पुनः प्रस्तुत किया गया और 12 घंटे की बहस के बाद 3 अप्रैल की सुबह लोकसभा में पारित कर दिया गया. अगले दिन राज्य सभा ने भी इसे मंजूरी दे दी और इसके कुछ दिनों बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी, जिससे इसके कानून बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया. केंद्र सरकार ने इस कानून का बचाव करते हुए कहा है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है.
हालांकि, आलोचकों का तर्क है कि संशोधित कानून में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने और सरकारी निगरानी का विस्तार करने के प्रावधानों से इसके दुरुपयोग का रास्ता खुल सकता है, जिसमें ऐतिहासिक मस्जिदों और अन्य संपत्तियों पर कब्जा करने की संभावना भी शामिल है. हालांकि, सरकार का कहना है कि इन बदलावों से वक्फ बोर्डों में महिलाओं और गरीब मुसलमानों को प्रतिनिधित्व मिलेगा और जवाबदेही में सुधार होगा.