राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कोटा में छात्रों के सुसाइड करने के पीछे का कारण बताया है. उन्होंने कहा कि कोचिंग हब कोटा में जायादातर छात्र प्रेम प्रसंग को मामलो में सुसाइड कर रहे हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसके अलावा सभी पेरेंट्स से आग्रह है कि वो अपने बच्चों को लेकर सतर्क रहें और उनका ध्यान रखें. साथ ही उनकी पढ़ाई को लेकर किसी भी तरह का दबाव न डालें.
सुसाइड के आंकड़ों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 2025 में कोटा में चार छात्रों ने सुसाइड कर लिया. कोटा कोचिंग इंस्टीट्यूट के लिए एक बड़ा और प्रमुख केंद्र है. इस शहर में 2024 में छात्रों के सुसाइड करने के 17 मामले सामने आए थे. शिक्षा मंत्री दिलावर पंचायती राज विभाग भी संभालते हैं. बूंदी में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कोटा के गंभीर मसले से जुड़े कारणों पर चर्चा की. दरअसल, वो लाभार्थियों को स्वामित्व कार्ड जारी किए जाने के लिए बूंदी में गए हुए थे.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
छात्रों को रुचि के मुताबिक करने दें काम
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पेरेंट्स को पढ़ाई को लेकर अपने बच्चों पर बहुत दबाव नहीं डालना चाहिए. हर बच्चे की रुचि अलग-अलग होती है. वो अपने इंट्रेस्ट के हिसाब से काम करता है तो खुश और सफल दोनों ही होता है. और इसके उल्टा जब उन्हें अपने इंट्रेस्ट से अलग किसी क्षेत्र में काम करने और सफलता पाने के लिए दबाव बनाया या उसे मजबूर किया जाता है तो ये उन्हें डिप्रेशन में डाल देता है. क्योंकि बिना रुचि के काम करने पर वो कई बार अपने लक्ष्य में असफल हो जाते हैं और खुश नहीं होते हैं.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों के साथ इस दिशा में काम करने की कोचिंग की जिम्मेदारी कम हो सकती है. लेकिन जब छात्र अपनी किसी परीक्षा में असफल होता है और या फिर उसकी रैंक अच्छी नहीं होती है तो उसके साथ रहने वाले दोस्त जब अपने दूसरे दोस्त पर कमेंट करते हैं तो इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर जरूर पड़ता है. साथ ही छात्रों के सुसाइड करने के पीछे की एक वजह उनका प्रेम-प्रसंग भी है.
शिक्षामंत्री ने कहा कि माता-पिता को अपने बच्चों की हर दिन की गतिविधियों और रूटीन के बारे में पता होना होना चाहिए, साथ ही बच्चों के प्रति चौकन्ने भी रहें ताकि, वो किसी भी समय आपसे बात करने की स्थिति में हों. जब पेरेंट्स सावधान नहीं होते तो बच्चों पर किया जाने वाला जरूरी नियंत्रण खो जाता है. ऐसी स्थिति में वो गलत रास्ते में भटक जाते हैं.