‘बिछड़े कुछ इस अदा से के रुत ही बदल गई, एक शख्स सारी दुनिया को वीरान कर गया’
मोहब्बत सिर्फ पाने का नाम ही नहीं, मोहब्बत खोने का नाम भी है. मोहब्बत मिलने का नाम ही नहीं, मोहब्बत बिछड़ने का नाम भी है. मोहब्बत बिबेक और सृजना का नाम भी है. दो ऐसे प्यार करने वाले जो सचमुच जब तक साथ रहे तो साथ रहे लेकिन जब उनका साथ छूटा तो सारी दुनिया साथ आ गई.
अगर मोहब्बत की कोई तस्वीर होती तो शायद बिबेक और सृजना जैसी होती. अगर त्याग का कोई चेहरा होता तो शायद ऐसा बिबेक और सृजना जैसा होता. अगर समर्पण को हम देख पाते तो वो सृजना जैसा ही दिखता. अगर ज़िंदादिली की झलक दिखती, तो बिबेक और सृजना जैसी दिखती. अगर गम का कोई चेहरा होता तो बिबेक और सृजना जैसा ही होता.
अगर हिज़्र का चेहरा होता, तो वो भी सृजना की तरह दिखता. अगर तड़प की कोई आवाज होती, तो सृजना के जैसी सुनाई देती. अगर विरह का कोई रूप होता तो बिबेक से सृजना की जुदाई जैसा होता. अगर मोहब्बत की तस्वीर होती तो बिबेक और सृजना जैसी होती. ये प्रेम कहानी है नेपाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बिबेक पेगनी और सृजना सुबेदी की.
जिसे ले गई है अभी हवा वो वरक़ था दिल की किताब का, कहीं आंसुओं से मिटा हुआ कहीं आंसुओं से लिखा हुआ.’
वो बेजान पड़े जिस्म को दुलारती. निहारती. आखिरी बार अपनी आंखो में मानों अपनी मोहब्बत को बस समेट लेना चाहती. उसे गले लगाती. इस लम्हें को वो जैसे रोक लेना चाहती थी. आखिर में वो टूट जाती है. कलेजे को चीर देने वाली जुदाई जिसने भी देखी वो टूट गया. वो आखिरी दफा भी बिबेक से कुछ कह रही थी. मानों जिस्म से कोई जान ले गया हो.
बिबेक की आखिरी विदाई की तस्वीर को जिसने भी देखा. वो अपने आंसू रोक नहीं पाया. दुनिया जब प्यार की मिसाल देगी तो उसे सृजना का नाम दिया जाएगा. सृजना ने बिबेक के लिए तमाम कोशिशें की. हर पल साये की तरह उसके साथ रही. बिबेक को संभाला. वो जानती थी बिबेक का साथ अब चंद दिनों का है. वो जानती थी उसका बिबेक अब कभी पहले जैसे नहीं हो पाएगा. वो जानती थी जुदाई तय है.
वो जानती थी जिन हाथों में वो बिबेक के साथ बैठकर मेंहदी लगा रही है. बिबेक से बिंदी लगवा रही है. उसके इस श्रंगार की उम्र भी कुछ महीने की है. वो जानती थी विवेक का ये जन्मदिन आखिरी होगा.लेकिन वहां भी सृजना की जिंदादिली दिखी. शायद वो बिबेक को ये महसूस नहीं होने देना चाहती थी कि वो कितनी परेशान है. कितना टूट रही है. लेकिन वो हर पल जीना चाहती थी. बिबेक के साथ बिताए इन लम्हों को संजोना चाहती थी.
क्योंकि उसे पता था. उसका बिबेक यादों में रह जाने वाला है. चंचल, खूबसूरत, चहकती, हंसती, खिलखिलाती सृजना सुबेदी. और उनके साथ उनके पति बिबेक पंगेनी. साल 2022 तक सब ठीक था. दोनों साथ बहुत खुश थे. 6 साल के प्यार के बाद दोनों ने शादी कर ली थी. फिर साल 2022 में बिबेक पीएचडी की पढ़ाई करने यूएस चला गया. एक दिन अचानक बिबेक के सिर में तेज दर्द उठा. दोनों डॉक्टर के पास गए.
जाते जाते भी बिबेक ने कहा उसे कुछ नहीं होगा. सब ठीक हो जाएगा. चेकअप के बाद पता चला बिबेक को फोर्थ स्टेज ब्रेन ट्यूमर है. दोनों उस दिन बहुत रोए. लेकिन सृजना ने हार नहीं मानी. कुछ ही वक्त में बिबेक की दो बड़ी सर्जरी हुई. डॉक्टर ने भी कह दिया अब बिबेक के पास सिर्फ 6 महीने ही हैं. धीरे धीरे बिबेक के शरीर ने भी साथ देना छोड़ दिया. लेकिन सृजना सावित्रि की तरह अपने बिबेक की जान बचाने के लिए लड़ रही थी.
हर दिन सृजना के लिए एक जंग का दिन था. सृजना की अंतहीन कोशिशों के बाद आखिरकार ये प्रेम कहानी खत्म हो गई.
‘तुझे पा लेते तो किस्सा खत्म हो जाता, तुझे खोया है कहानी यकीनन लंबी चलेगी.’