उत्तर प्रदेश के लखनऊ में नगर निगम ने भारी पुलिस बल के साथ सहारा शहर को सील कर दिया। 30 साल की लीज अवधि 2024 में समाप्त होने और उसका नवीनीकरण न होने के कारण यह कार्रवाई की गई। सहारा शहर के कुछ कर्मचारी कार्रवाई का विरोध करते हुए अपने सामान को बाहर निकालने की अनुमति मांगते रहे, लेकिन नगर निगम की टीम ने किसी भी प्रकार की रोक नहीं मानी।
सहारा शहर लगभग 170 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें 40 एकड़ ग्रीन बेल्ट और 130 एकड़ आवासीय तथा वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए आरक्षित था। सहारा समूह को इस जमीन पर 1994 में 30 साल की लीज दी गई थी, जिसमें 5 साल का समय आवासीय योजना और ग्रीन बेल्ट विकसित करने के लिए निर्धारित था। हालांकि, समय पर योजना पूरी नहीं होने के कारण नगर निगम ने 1995 में नोटिस जारी किया था। इस नोटिस का जवाब सहारा शहर की तरफ से संतोषजनक रूप से नहीं दिया गया।
नगर निगम और सहारा समूह के बीच लंबे समय से कानूनी विवाद चल रहा था। लीज समाप्त होने के बाद और नवीनीकरण न होने पर निगम ने कार्रवाई का निर्णय लिया। इस दौरान सहारा शहर के अधिकारियों ने इसे शक्ति का गलत इस्तेमाल बताते हुए विरोध किया। उन्होंने कहा कि नगर निगम की कार्रवाई अवैध है और उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया।
नगर निगम की टीम ने कार्रवाई सुबह 11 बजे शुरू की और शाम तक चली। भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सीलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। नगर निगम ने यह स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई कानूनी और लीज समाप्ति के आधार पर की गई है।
यह मामला शहर और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच विवाद को उजागर करता है। सहारा शहर के सील होने से वहां के निवासियों और कर्मचारियों पर असर पड़ा। नगर निगम की कार्रवाई ने लीज और संपत्ति प्रबंधन को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग इस कार्रवाई से आहत हुए हैं और इसे प्रशासनिक सख्ती के रूप में देख रहे हैं।
इस घटना ने लखनऊ में संपत्ति और लीज नीति की प्रासंगिकता को सामने रखा है और भविष्य में कानूनी विवादों और संपत्ति प्रबंधन के मामलों पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई है।