लखनऊ: फर्जी IAS का पीए भी झाड़ता था रौब, मिलती थी इतनी सैलरी, साथ में VIP प्रोटोकॉल

लखनऊ में पकड़े गए फर्जी आईएएस सौरभ त्रिपाठी के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. जांच-पड़ताल के दौरान पता चला है कि सौरभ त्रिपाठी ने न केवल खुद को बल्कि अपने पीए को भी सरकारी अफसर बनाकर फर्जीवाड़ा किया. सौरभ के पास से छह लग्जरी गाड़ियां मिली हैं और कई बड़े लोगों से उसके संबंधों का खुलासा हुआ है.

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आपको बता दें कि यह घटना लखनऊ के वजीरगंज थाने की है, जहां फर्जी आईएएस सौरभ त्रिपाठी को पकड़ा गया है. पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. सौरभ ने खुद के अलावा एक तथाकथित पीए गौरव के नाम से भी NIC की मेल आईडी बना रखी थी. इसी मेल आईडी से वह सरकारी विभागों से प्रोटोकॉल और सुविधाएं हासिल करता था.

लखनऊ पुलिस ने ड्राइवर को सरकारी गवाह बनाने की तैयारी की है, जिसे ₹17,000 प्रति माह वेतन दिया जाता था. सौरभ ने फर्जी सचिवालय पास और आईडी कार्ड का इस्तेमाल कर टोल टैक्स से भी छूट पाई.

आय का स्रोत और हाई-फाई लाइफस्टाइल

पुलिस को अभी तक सौरभ की आय का सही स्रोत पता नहीं चल पाया है. हालांकि, उसके पास छह लग्जरी गाड़ियां मिली हैं. ये गाड़ियां अन्य लोगों और ट्रैवल एजेंसियों के नाम पर रजिस्टर्ड हैं. पुलिस उनके असली मालिकों की तलाश कर रही है. सौरभ का लाइफस्टाइल बहुत हाई-फाई था. उसने लखनऊ से लेकर नोएडा तक कई ठिकाने बना रखे थे. कई बड़े नेताओं और अफसरों से उसकी अच्छी जान-पहचान थी, जिसकी वजह से उसकी असलियत लंबे समय तक उजागर नहीं हो पाई.

असफलता से ठगी तक का सफर

जांच में पता चला है कि सौरभ ने तीन बार यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा दी थी, लेकिन वह तीनों बार असफल रहा. इसके बाद उसने फर्जी आईएएस बनने का रास्ता अपनाया. दिल्ली में रहते हुए उसने कई असली आईएएस और नेताओं से नजदीकियां बढ़ाईं और उन्हीं संपर्कों का इस्तेमाल कर खुद को एक बड़ा अफसर बताता रहा. पुलिस उसके बैंक खातों की भी जांच कर रही है ताकि उसकी आय के स्रोत का पता लगाया जा सके.

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