7 सितंबर को पूर्णिमा पर लगेगा चंद्र ग्रहण, पितृ पक्ष से पहले सत्यनारायण कथा पर उठे सवाल

इस साल 7 सितंबर 2025 को एक खास संयोग बन रहा है। इस दिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन माना जाता है। पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा कराने और व्रत-उपवास करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बार स्थिति अलग है, क्योंकि इसी रात पूर्ण चंद्र ग्रहण लग रहा है और अगले दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है। ऐसे में श्रद्धालुओं के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या इस बार पूर्णिमा पर सत्यनारायण की कथा कराना उचित होगा या नहीं।

पंडितों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि का धार्मिक महत्व हमेशा ही उच्च माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण कथा, हवन और दान का विशेष महत्व है। परंतु जब ग्रहण की स्थिति बनती है, तो उस समय धार्मिक अनुष्ठान वर्जित हो जाते हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि ग्रहणकाल के दौरान पूजा-पाठ, कथा, हवन और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। ग्रहण के सूतक काल से ही सभी धार्मिक गतिविधियां रोक दी जाती हैं।

7 सितंबर की पूर्णिमा पर ग्रहण की छाया रात में पड़ेगी। ऐसे में दिन के समय श्रद्धालु सत्यनारायण कथा कर सकते हैं, क्योंकि सूतक काल ग्रहण से कुछ घंटे पहले शुरू हो जाएगा। यदि कथा ग्रहण काल से पूर्व सम्पन्न कर ली जाती है, तो उसे शास्त्रसम्मत माना जाएगा और इसका फल भी पूर्ण रूप से प्राप्त होगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि पितृ पक्ष की शुरुआत 8 सितंबर से होगी। उससे पहले पूर्णिमा पर सत्यनारायण कथा का आयोजन करना शुभ माना जाएगा, लेकिन इसे ग्रहण शुरू होने से पहले सम्पन्न करना जरूरी है। ग्रहण काल में केवल मंत्रजप और ईश्वर का ध्यान करने की अनुमति होती है।

धार्मिक दृष्टि से यह संयोग बहुत दुर्लभ है, जब पूर्णिमा, चंद्र ग्रहण और पितृ पक्ष की शुरुआत लगभग एक ही समय पर हो रही है। श्रद्धालु यदि कथा कराना चाहते हैं, तो 7 सितंबर को दिन के समय कथा-पूजन संपन्न कर लें। इससे पुण्य लाभ मिलेगा और ग्रहण का कोई दोष भी नहीं लगेगा।

इस प्रकार, 7 सितंबर को सत्यनारायण कथा संभव है, लेकिन इसे ग्रहण काल से पहले ही करना उचित होगा।

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