मध्यप्रदेश: आंगनबाड़ी कर्मियों पर अतिरिक्त बोझ का विरोध, बीएलओ ड्यूटी से मुक्ति की मांग

मध्यप्रदेश: आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका एकता यूनियन ने कलेक्टर संजय कुमार जैन को ज्ञापन सौंपकर अपनी समस्याएं रखीं. यूनियन का कहना है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को पहले से ही अनेक जिम्मेदारियां दी गई हैं, इसके बावजूद उन्हें बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की ड्यूटी थोप दी गई है, जिससे उनका नियमित काम प्रभावित हो रहा है.

जिला अध्यक्ष साधना त्रिपाठी और जिला महासचिव अर्चना द्विवेदी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं की देखरेख करती हैं. इसके साथ ही छह साल तक के बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच, कुपोषण उन्मूलन और पोषण ट्रैकर पर एफआरएस एंट्री जैसे जटिल कामों में भी उनकी अहम भूमिका रहती है.

पोषण माह के बीच और बढ़ा दबाव

17 सितंबर से 15 अक्टूबर तक जिले में पोषण माह के कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं. इस अवधि में आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. लेकिन नेटवर्क की समस्या के कारण एफआरएस एंट्री बार-बार असफल हो रही है. यूनियन का कहना है कि दिनभर मेहनत करने के बाद भी डेटा शून्य दिखना कर्मियों के मनोबल को तोड़ देता है.

मानदेय रोकने पर जताई आपत्ति

यूनियन का आरोप है कि कई जिलों में निर्वाचन रजिस्ट्रेशन अधिकारी बीएलओ का काम न करने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय रोकने के आदेश दे रहे हैं. जबकि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को आईसीडीएस के अलावा अन्य कामों में नहीं लगाया जाना चाहिए.

एक स्वर में उठी मांग

यूनियन ने साफ शब्दों में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय किसी भी हालत में रोका न जाए और उन्हें बीएलओ की जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आईसीडीएस और पोषण माह की गतिविधियों पर सीधा असर पड़ेगा, जिसका खामियाजा बच्चों और माताओं को भुगतना होगा.

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