देश के दस राज्यों में लागू पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम यानी पेसा एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश सबसे आगे है। राज्य के 20 जिलों के 88 विकासखंडों की 5,133 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले 11,596 गांवों में यह अधिनियम लागू हो चुका है।
पेसा अधिनियम का मुख्य उद्देश्य ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना और आदिवासी क्षेत्रों में जल, जंगल, जमीन जैसे संसाधनों के साथ-साथ स्थानीय विवादों को लोकतांत्रिक तरीकों से सुलझाना है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस अधिनियम को धरातल पर उतारने के लिए व्यापक रणनीति अपनाई है।
अब तक पेसा कानून के तहत करीब 8,000 से अधिक विवादों का समाधान थानों में शिकायत दर्ज कराए बिना ही गांवों की चौपालों में कर लिया गया है। इससे ग्रामीणों का समय और धन दोनों की बचत हुई है और लोगों को त्वरित न्याय मिला है।
राज्य के पेसा क्षेत्रों में 11,639 शांति एवं विवाद निवारण समितियां, 11,331 वन संसाधन नियंत्रण समितियां और 21,887 सहयोगिनी मातृ निवारण समितियां सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। इन समितियों की मदद से न केवल पारंपरिक अधिकारों की रक्षा हो रही है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी भी तेजी से बढ़ी है।
इसके अलावा 4,850 पेसा मोबिलाइजर नियुक्त किए गए हैं जो लोगों को कानून की जानकारी दे रहे हैं, ग्राम सभाओं को सक्रिय बना रहे हैं और ग्रामीणों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
पेसा एक्ट के अंतर्गत ग्राम सभाओं को भूमि, जल, जंगल, खनिज, सामाजिक न्याय, ग्राम स्तरीय संस्थानों, शांति एवं विवाद निवारण जैसे विषयों पर अधिकार दिए गए हैं। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया आसान हुई है और स्थानीय नेतृत्व को बल मिला है।