Madhya Pradesh: जनता पूछ रही है – क्या कभी पूरा होगा चौराघाट से सोनौरी तक का रास्ता? 1991 में जिस सड़क योजना की आधारशिला देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा रखी गई थी, वो 2025 में भी अधूरी पड़ी है.
1355.69 लाख की लागत से बनने वाली यह 35 किलोमीटर लंबी सड़क अब तक सिर्फ कागज़ों और भाषणों तक सिमटी हुई है। हनुमना-सोनौरी सड़क का निर्माण कार्य वर्ष 2021 में शुरू हुआ, जिसे 2025 तक पूरा किया जाना था। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि सड़क का निर्माण कार्य एक बार फिर बीच रास्ते में अटक गया है.
सिर्फ भूमिपूजन, काम नदारद
सांसद जनार्दन मिश्रा और विधायक प्रदीप पटेल ने इस सड़क को लेकर कई बार भूमिपूजन और शिलान्यास किए, पर निर्माण कार्य की रफ्तार आज भी शून्य है। पहाड़ के नीचे रीवा की ओर ठेकेदार संजय सिंह और पहाड़ के ऊपर कौशल पटेल को कार्य सौंपा गया, लेकिन दोनों ही हिस्सों में काम लगभग ठप है.
रास्ता नहीं, रोज़ की सज़ा
हनुमना से सोनौरी की सीधी दूरी मात्र 35 किमी है, लेकिन अधूरी सड़क के कारण ग्रामीणों को प्रतिदिन 100 किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। इससे जहां समय और पैसा बर्बाद हो रहा है, वहीं बीमारों, छात्रों और व्यापारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
‘बहानों’ की सड़क पर चला विभाग
स्थानीय लोग बताते हैं कि जब भी निर्माण में देरी पर सवाल किया जाता है, PWD और MPRDC के अधिकारी कभी बारिश, तो कभी वन विभाग की अनुमति का बहाना बनाकर जिम्मेदारी से बच निकलते हैं। हकीकत ये है कि निर्माणस्थल पर एक MPRDC का बोर्ड और कुछ पथरीली चुप्पी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता.
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल
जनता का सवाल वाजिब है – जब पहले से पहाड़ जैसी बाधा मौजूद थी, तो फिर बिना पूरी तैयारी के परियोजना क्यों शुरू की गई? अगर योजना स्वीकृत हुई थी, तो तीन वर्षों में समाधान क्यों नहीं निकला गया?
34 वर्षों से अधूरी पड़ी यह सड़क अब नेताओं के खोखले वादों की पहचान बन गई है, और क्षेत्र की जनता के लिए रोजमर्रा की कठिनाई.