मध्य प्रदेश के सीधी जिले में पत्रकारिता के कर्तव्य का निर्वहन करना पत्रकार शिवेंद्र तिवारी को भारी पड़ गया है। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने चुरहट SDOP आशुतोष द्विवेदी के खिलाफ रीवा IG को व्हाट्सएप के माध्यम से एक शिकायत भेजी थी, जिसमें उनके कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। इस शिकायत के कुछ ही दिनों बाद, 20 मई 2025 को चुरहट पुलिस ने शिवेंद्र तिवारी और संदीप तिवारी के खिलाफ मनगढ़ंत और झूठी FIR दर्ज कर दी, जिससे पूरे प्रदेश में पत्रकारों में रोष व्याप्त है.
FIR में संगीन धाराएं, लेकिन सच्चाई से कोसों दूर
FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNSS) 2023 की कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें धारा 296, धारा 115(2), धारा 351(3), धारा 324(4), धारा 126(2), और धारा 3(5) शामिल हैं। हालांकि, जिस समय और दिनांक (20/05/2025, शाम 4:00 बजे) पर घटना दर्शाई गई है, उसी समय संदीप तिवारी की रीवा में मौजूदगी GPS लोकेशन, व्हाट्सएप चैट, गवाहों और CCTV फुटेज से पुष्टि हो चुकी है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि घटना कभी हुई ही नहीं और FIR पूरी तरह से बेबुनियाद है। यह पुलिसिया कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.
पत्रकार संगठनों में भारी आक्रोश, प्रशासन पर गंभीर आरोप
इस घटना ने पत्रकारों के विभिन्न संगठनों को एकजुट कर दिया है। पत्रकार सुरक्षा मंच के संयोजक ने इस कार्रवाई को लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए कहा कि प्रशासन पत्रकारों की आवाज दबाने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह SDOP के खिलाफ शिकायत का सीधा बदला है, जो बेहद निंदनीय है.
उच्च स्तरीय जांच की मांग, न्याय की गुहार
शिवेंद्र तिवारी और उनके समर्थकों ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। साथ ही, रीवा IG से निष्पक्ष जांच और दर्ज की गई FIR की न्यायिक समीक्षा की भी अपील की गई है। यह मामला अब केवल एक पत्रकार पर हुई कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमले का एक बड़ा उदाहरण बन गया है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस गंभीर मामले में न्याय सुनिश्चित करेगा या पत्रकार अपनी आवाज़ उठाने की कीमत चुकाते रहेंगे.