भोपाल निवासी रेखा बाई यादव उर्फ कौशल्या बाई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। महिला 900 दिन तक बिना अपराध के जेल में रह चुकी थीं। उन पर आरोप था कि उन्होंने किसी और महिला के स्थान पर भूखंड की फर्जी रजिस्ट्री में अंगूठा लगाया था। हालांकि, जांच और ट्रायल में पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण अदालत ने उन्हें दोषमुक्त किया।
महिला पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, भोपाल ने पहले सात वर्ष की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अधिवक्ता मनोज चतुर्वेदी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। उन्होंने तर्क दिया कि सह अभियुक्त को पहले ही दोषमुक्त किया जा चुका था, जबकि रेखा बाई यादव के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य मौजूद नहीं थे।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि अंगूठे का मिलान कराने पर महिला का अगूंठा रजिस्ट्री के समय उपस्थित नहीं पाया गया। प्रकरण के विवेचना अधिकारी ने ट्रायल कोर्ट में चालान पेश करते समय साफ कहा था कि महिला के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुट पाए हैं। बावजूद इसके पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर दिया और जमानत अर्जी निरस्त होने के कारण महिला को 900 दिन तक जेल में रहना पड़ा।
इस मामले ने न्याय व्यवस्था में सबूतों और जांच की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 900 दिन तक जेल में रहने के बावजूद महिला दोषमुक्त हुईं, यह घटना कानूनी प्रक्रिया और न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है।
महिला ने इस लंबी कैद के दौरान मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना किया। अब अदालत के फैसले के बाद महिला अपनी सामान्य जिंदगी में लौट सकती हैं। इस मामले ने यह भी स्पष्ट किया कि ठोस सबूतों के बिना किसी को लंबे समय तक जेल में रखना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।