रीवा: विन्ध्य क्षेत्र का हृदय स्थल कहे जाने वाले रीवा शहर में इन दिनों सोम रस यानी अवैध शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है और हैरानी की बात यह है कि पुलिस प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से असफल नजर आ रहा है. शहर के हर कोने, गली-मोहल्लों में खुलेआम अवैध शराब बिक रही है, जिसने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल तब क्यों नहीं उठने चाहिए जब चोरहटा थाने के पुलिसकर्मी कार्रवाई करने के बजाय तस्करों का साथ देते हैं.
सची पार्लर के पास सोम रस
सबसे चौंकाने वाली स्थिति चोरहटा थाना क्षेत्र से लेकर बेला सच्ची पार्लर तक देखने को मिल रही है, जहां नशे के सौदागरों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर रखा है. लगातार मिल रही शिकायतों और मीडिया कवरेज से ऐसा लग रहा है कि कुछ पुलिसकर्मी भी इस अवैध कारोबार को चलाने में संलिप्त हैं. खबर के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. मीडिया की सूचना के बाद लीक हुई लोकेशन.
सूत्रों की मानें तो जब मीडिया या जागरूक नागरिक पुलिस को अवैध शराब के ठिकानों की सूचना देते हैं तो कार्रवाई करने की बजाय अक्सर लोकेशन लीक कर दी जाती है, जिससे तस्करों को भागने का मौका मिल जाता है। यह आरोप गंभीर है और इसकी गहन जांच की जरूरत है.
फोन कॉल ट्रेस करके खुल सकता है राज
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर चोरहटा थाने के पुलिसकर्मियों के फोन कॉल की जांच की जाए तो अवैध शराब तस्करों से उनकी मिलीभगत का पूरा राज खुल सकता है, यह आरोप सीधे तौर पर कानून लागू करने वाली एजेंसियों की ईमानदारी पर सवाल उठाता है और तत्काल उच्च स्तरीय जांच की मांग करता है.
वायरल वीडियो
युवाओं का भविष्य खतरे में
रीवा में अवैध शराब का यह बेखौफ कारोबार न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर रहा है, बल्कि युवाओं को नशे की गर्त में धकेलकर उनके भविष्य को भी अंधकारमय बना रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का संज्ञान कब लेता है और “सोम रस” के इस जाल को कब तोड़ता है और पुलिस इनके खिलाफ क्या सख्त कदम उठाती है? इससे पहले भी चोरहटा थाना क्षेत्र के सांची पार्लर के पास अवैध शराब बिक्री का एक वीडियो वायरल हुआ था, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई करने के बजाय तस्करों को बुलाकर वहां से भागने की हिदायत दी थी। जब भी मीडिया वहां खबर कवर करने जाती है तो तस्करों को पुलिस के जरिए इसकी जानकारी जरूर मिल जाती है। कहीं न कहीं पुलिस की पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे में है। आखिर पुलिस तस्करों को क्यों संरक्षण देती है? क्या जनता से टैक्स के रूप में वसूला गया पैसा सरकार द्वारा दिए जाने वाले वेतन में उनके खर्च को पूरा नहीं कर पाता है?