Madhya Pradesh: फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर शराब ठेकों के आवंटन, आबकारी अधिकारी सहित 5 ठेकेदारों के विरुद्ध दर्ज किया मामला

सिंगरौली: आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर शराब ठेकों के आवंटन का खुलासा किया है. इस घोटाले में शराब ठेकेदारों, जिला आबकारी कार्यालय और जिला सहकारी बैंक शाखा मोरवा की मिलीभगत से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई, शिकायतकर्ता अधिवक्ता बीके माला द्वारा 28 जून 2013 को दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की थी.

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जांच में पाया गया कि शराब ठेकेदारों को नियमों के विरुद्ध फर्जी बैंक गारंटी के माध्यम से लाइसेंस दिए गए, जिला सहकारी बैंक शाखा मोरवा (सिंगरौली) के तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने 15 करोड़ 32 लाख 23 हजार 4410 रुपये की 14 फर्जी बैंक गारंटी जारी की। इनमें से 9 बैंक गारंटी शराब ठेकेदारों को दी गई, जिनका इस्तेमाल उन्होंने रीवा, सिगरौली, उमरिया और सतना जिलों में शराब ठेकों के लाइसेंस प्राप्त करने के लिए किया.

जिला सहकारी बैंक के तीन सदस्यीय जांच दल ने भी अपनी रिपोर्ट में नागेन्द्र सिंह और शिवशंकर सिंह की संलिप्ता को उजागर किया, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित, सीधी द्वारा 27 जून 2023 को प्रस्तुत प्रतिवेदन में बताया गया कि बैंक गारंटी जारी करने का अधिकार केवल बैंक संचालक मंडल या स्टाफ उप-समिति के पास था। काउंटर गारंटी के बिना गारंटी जारी करना नियमों का उल्लंघन था, जो कि इस मामले में किया गया.

जांच के बाद नागेन्द्र सिंह अनिल जैन और शराब ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (घोखापड़ी), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और भ्राद्यचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 7 (सी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। हु ‍ उ एफआईआर में नामजद आरोपी नागेन्द्र सिंह तत्कालीन प्रभारी शाखा प्रबंधक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, शाखा मोरवा, सिंगरौली, नृपेन्द्र सिंह प्रोप, मेसर्स मां लक्ष्मी इंटरप्राइजेज (वैकण्ठपर, हनुमना, नईगड़ी, देवतालाब शराच दुकान समूह), अजीत सिंह प्रोप मेसर्स आशा इंटरप्राइजेज ( इटौरा शराब दुकान समूह), उपेन्द्र सिंह बघेल मऊगंज शराब दुकान समूह, आदित्य प्रताप सिंह र रायपुर कलियान शराब दुकान समूह, विजय बहादुर सिंह प्रोप, मे. आर्या ग्रुप (समान नाका शराब दुकान समूह), अनिल जैन तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी, रीवा एवं अन्य – अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध मुकदमा पंजीबद्ध हुआ है.

मध्य प्रदेश की आबकारी नीति के अनुसार, शराब ठेकों के लिए केवल सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, निजी क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या राज्य के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से ही बैंक गारंटी ली जा सकती थी. लेकिन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, जो भारतीय रिजर्व बैंक की अनुसूचित सूची में नहीं आता, उसकी गारंटी को स्वीकार कर लिया गया.

इसमें जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन की भी मिली भगत सामने आई है, उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर इन फर्जी बैंक गारंटियों को स्वीकार किया और शराब ठेकेदारी को ठेके दिए, जब शिकायत हुई तो उन्होंने गुपचुप तरीके से लाइसेंस धारकों से अनुसूचित बैंकों की गारंटी प्राप्त कर घोटाले को छिपाने की कोशिश की.

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