Madhya Pradesh: श्योपुर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में अवैध रूप से शराब का कारोबार फल-फूल रहा है. लेकिन आबकारी व पुलिस महकमा की सुस्ती से प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है. हाल यह है कि होटलों व ढाबों की आड़ में अवैध रूप से शराब बिक्री की जा रही है. जहां पर बार की तरह ग्राहकों को शराब परोसी जाती है. अवैध रूप से शराब का कारोबार कर रहे ढाबा व होटल मालिक इस धंधे से चांदी काटने में मशगूल हैं. शाम होते ही होटलें व ढाबे मयखाने बन जाते है. इन ढाबा संचालकों के हौसले इतने बुलंद है कि रात की बात तो दूर ये ग्राहकों को दिन के समय भी बाहर बैठकर खुलेआम शराब परोसने में गुरेज नहीं करते है. ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में आने वाले लोग जाते समय थोड़ी देर होटल व ढाबों रुककर जाम से जाम टकराने के बाद निकलते हैं.
नकले जरुरी
होटलों संचालक होटल पर आने वाले लोगों के लिए शराब परोस रहे हैं. शराबियों को बैठने के लिए अलग से कमरे भी बने है. वहीं शराब के साथ पानी, सलाद व नमकीन की व्यवस्था की जाती है. शहर के जाट खेड़ा, सोई कलां रोड़, खातोली रोड व प्रेमसर, ढोढर रोड,सहित दो दर्जन से अधिक होटल व ढाबे है जिन पर खुलेआम शराब परोसी जाती है.
होटलों व ढाबों के पीछे बोतलों के ढेर
होटलों व ढाबों पर अवैध शराब के कारोबार का पता इनके पीछे लगे बोतलों के ढेर से चलता है. शराब पीने के बाद लोग बोतल को वहीं छोड़कर चले जाते है. जिसे होटल व ढाबा संचालक इक्कठा करता है.
होटल- ढाबों की पड़ताल से परहेज
शहर से गुजरने वाले राज्य राजमार्ग व अन्य सड़कों के किनारे होटल-ढाबों का मनमर्जी से संचालन किया जा रहा है. लेकिन इन होटल-ढाबों की पड़ताल करने को लेकर ना तो आबकारी विभाग को फिक्र है और ना ही पुलिस विभाग को परवाह. ऐसे में इन मुख्य मार्गो पर मनमर्जी से दर्जनों होटल-ढाबों का संचालन किया जा रहा है.
थाना प्रभारी बोले होटलों और ढाबों की समय पर पर संबंधित पुलिस अधिकारी जांच करते हैं
देहात थाना प्रभारी शशि तोमर ने मामले में जानकारी देते हुए बताया कि अगर इस तरह की शिकायत पाई जाती है. और समय समय पर होटलों ढाबों और अन्य जगह शराब बिक्री की जांच संबंधित बीट अधिकारियों के द्वारा की जाती है. पंरतु तो कुछ पाया नहीं जाता है. थाना प्रभारी शशि तोमर की बात से एक बात तो अब साफ हो गई है कि थाना प्रभारी को भी संबंधित बीट के अधिकारी गुमराह करने का काम करने में लगे हुए हैं. और इनमें कही ना कही संबंधित बीट अधिकारियों की मिलीभगत साफ तौर पर दर्शाती नजर आ रही है। यानी कुल मिलाकर पुलिस का संरक्षण कही ना कही ठेकदार की मिलीभगत से यह गोरखधंधा चल रहा है.
सूत्र बताते हैं कि आवकारी विभाग के एक बड़े अधिकारी की ठेकेदार से अच्छी पकड़ होने के कारण आवकारी विभाग के अधिकारी इस मामले में मौन साधे हुए हैं. और जो आरोप लग रहे हैं इनमें कितनी सच्चाई है यह तो अब खबर चलने और आवकारी विभाग की कार्रवाई पर जोर लगना यह देखना होगा.