मध्यप्रदेश में लोकायुक्त की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। एक पटवारी को बिना रिश्वत लिए फंसाने और झूठे सबूत गढ़ने के आरोपों ने पूरे मामले को संदिग्ध बना दिया है.
यह घटना पटवारी कमलेश से जुड़ी है, जिन्हें लोकायुक्त टीम ने रिश्वत लेने के आरोप में पकड़ा। लेकिन गवाहों और घटनास्थल पर मौजूद लोगों के अनुसार, सच्चाई कुछ और ही है.
स्थानीय लोगो के अनुसार क्या हुआ मौके पर
पुष्पराज जायसवाल, जो घटना के समय वहां मौजूद थे, उन्होंने बताया मैं इस पूरी घटना का वीडियो बना रहा था, लेकिन लोकायुक्त टीम ने मुझे धमकाकर रिकॉर्डिंग बंद करवा दी.
गवाहों के अनुसार, जब पटवारी ने रिश्वत लेने से इनकार किया, तो शिकायतकर्ता ने जबरन उनकी जेब में पैसे डालने की कोशिश की। इस दौरान नोट जमीन पर गिर गए। इसके बाद, लोकायुक्त टीम ने बिना किसी ठोस सबूत के पटवारी को गिरफ्तार कर लिया.
पानी की जांच में हेरफेर
गवाहों का दावा है कि जबरन पटवारी से पानी में हाथ धुलवाया गया, लेकिन उसमें कोई रंग नहीं निकला। हालांकि, लोकायुक्त टीम के एक सदस्य ने जमीन पर पड़े नोट पानी में डाल दिए, जिससे पानी रंगीन हो गया.
क्या कहना है ग्रामीणों का
गांव के कई लोगों ने इस कार्रवाई को अवैध और पूर्व नियोजित बताया। उनका कहना है कि पटवारी को जानबूझकर फंसाने की कोशिश की गई। घटना के बाद पटवारी संघ ने SDM संजय जैन के माध्यम से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में लोकायुक्त टीम पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की गई.
पटवारी संघ ने लोकायुक्त टीम की संदिग्ध भूमिका की जांच के लिए उच्च-स्तरीय कमेटी बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसे मामलों से प्रशासनिक अधिकारियों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.